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बिहार के गरीबों व संघर्षशील जनता ने किया है बिहार के जनादेश का निर्माण: दीपंकर

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  • धर्मनिरपेक्षता भारत के संविधान की आत्मा है. 
  • बिहार के विकास के वैकल्पिक एजेंडे के साथ वामपंथियों का संघर्ष जारी रहेगा, माले ने जारी किया पांच सूत्री संकल्प, जनकन्वेंशन में लिया गया 8 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव
  • माले के जनकन्वेंशन में शरीक हुए सीपीआई, सीपीआइएम, एसयूसीआईसी के नेतागण
  • 1-6 दिसंबर तक सांप्रदायिकता विरोधी अभियान को सफल करने का आह्वान

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पटना 3 दिसंबर 2015, भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी ने आज भारतीय नृत्य कला मंदिर के मुक्ताकाश मंच पर ‘जनादेश 2015- वामपंथ’ की भूमिका विषय पर राज्यस्तरीय जनकन्वेंशन का आयोजन किया. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के जनादेश ने पूरे देश को आश्वस्त किया है. लोकतंत्र व अमन-चैन में विश्वास रखने वाली जनता को राहत मिली है. बिहार के इस जनोदश का निर्माण बिहार के गरीबों, अकलियतों, महिलाओं, छात्र-नौजवानों और मजदूर-किसानों ने किया है, लाल झंडे ने किया है. इसके लिए हम पूरी बिहार की जनता को सलाम करते हैं.

उन्होंने कहा कि जो बिहार की राजनीति को पिछले 10 सालों से देख-समझ रहे हैं, उनके लिए इस जनादेश को समझने में कोई दिक्कत नहीं है. 2005 में भाजपा के साथ जब नीतीश कुमार बिहार की सरकार में आए थे, उन्होंने पहला काम किया था अमीरदास आयोग को भंग करने का. जिसका बिहार की जनता ने कत्तई स्वागत नहीं किया था. भाजपा को ही खुश करने के लिए नीतीश जी की सरकार ने अपने ही द्वारा गठित भूमि सुधार आयोग की सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिशों के साथ भी वैसा ही किया था. भाजपा-जदयू शासन में रणवीर सेना द्वारा रचाए गए जनसंहारों के हत्यारों को थोक भाव में बरी कराया गया. महादलितों-अतिपिछड़ों तक भाजपा की ताकत बढ़ायी और बिहार में सांप्रदायिक माहौल निर्मित किया गया. फारबिसगंज जैसे गोलीकांड हुए, मुस्लिम युवाओं को प्रताडि़त किया गया. बिहार की जनता ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया और लगातार प्रतिवाद आंदोलन होते रहे. यह जनादेश जनता के उन्हीं आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है.

उन्होंने कहा कि आज लालू प्रसाद मंडल-2 की बात कर रहे हैं. लेकिन मंडल-1 में भी केवल आरक्षण का मामला नहीं था, उसमें आर्थिक सशक्तीकरण, सामाजिक बदलाव का भी सवाल था. लेकिन गरीबों के राज के नाम पर अपराधियों का राज कायम किया गया और दलितों-पिछड़ों का बड़ा हिस्सा अलग-थलग पड़ गया. भूमि सुधार जैसे सवालों को लालू प्रसाद ने दरकिनार कर दिया. मंडल-2 में क्या होगा? देशव्यापी जबरदस्त झटका के बाद भी आरएएस अपनी सांप्रदािकय राजनीति से बाज नहीं आ रहा. अभी हाल में आरएसएस प्रमुख ने एक बार फिर से राममंदिर बनाने की बात कही है और लोकसभा में गृहमंत्री कह रहे हैं कि धर्मनिरपेक्षता संविधान में बाद में जोड़ा गया है. यह सही है लेकिन संविधान की तो आत्मा ही धर्मनिरपेक्षता है. जनादेश ने वामपंथियों को तीसरी ताकत के रूप में मजबूती से स्थापित किया है. हमने चुनाव के पहले जिन 21 सूत्री वैकल्पिक एजेंडे पर चुनाव लड़ा, उसके लिए संघर्ष को और मजबूती से आगे बढ़ाने की जवाबदेही अब हमारे कंधों पर हैं और हम इस चुनौती को स्वीकार करते हैं.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य काॅ. अरूण कुमार मिश्र ने कहा कि बिहार के जनादेश ने वामपंथियों को मजबूती प्रदान की है. यह जीत न केवल माले की है बल्कि पूरे वामपंथ की है. हम आने वाले दिनों में और मजबूती से इन सवालों पर एकताबद्ध होकर संघर्ष करेंगे. सीपीआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य काॅ. अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि हमने चुनाव पूर्व जिन 21 सूत्री एजेंडों को सूत्रबद्ध किया था, वही हमारे मार्गदर्शक होंगे. बिहार की जनता के हक-अधिकार का संघर्ष लालू-नीतीश के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती, उसे वामपंथ ही लड़ सकता है.

प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि बिहार के चुनाव में पूंजी के भारी खेल, चुनाव को दो ध्रुवीय बना देने के बीच भाकपा-माले की जीत का काफी महत्व है. हम इसका स्वागत करते हैं. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव ने राजाराम सिंह ने कहा कि तमाम कोशिशों के बाद वामपंथ ने तीन सीटें जीतीं और कई जिलों में एक लाख से अधिक वोट पाये. यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि बिहार में वामपंथ ही बदलाव की असली ताकत है. कन्वेंशन को डाॅक्टर परमानंद पाल, लेफ्रिटनेंट जनरल यूएसपी सिन्हा ने भी संबोधित किया. अन्य वक्ताओं में भाकपा-माले विधायक दल के नेता काॅ. महबूब आलम, आइसा नेता अजीत कुशवाहा, रणविजय कुमार, तरारी से माले विधायक नेता काॅ. सुदामा प्रसाद, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव ने भी संबोधित किया.

अध्यक्ष मंडल में काॅ. कुणाल, काॅ. अमर, काॅ. धीरेन्द्र झा, काॅ. रामजतन शर्मा, काॅ. सरोज चैबे, काॅ. नईमुद्दीन अंसारी, काॅ. अरूण सिंह, काॅ. निरंजन कुमार, काॅ. रामेश्वर प्रसाद, काॅ. आरएन ठाकुर, काॅ. विशेश्वर यादव, काॅ. वीरेन्द्र गुप्ता, काॅ. मीना तिवारी, काॅ. नंद किशोर प्रसाद, आदि शािमल थे. वरिष्ठ माले नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य भी मंच पर थे संचालन: काॅ. धीरेन्द्र झा ने किया. 

भाकपा-माले का पांच-सूत्री संकल्प
1. भाकपा-माले देश में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, शिक्षा-संस्कृति और संविधन पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ जनता के प्रतिवाद को और ऊंचाई पर ले जाने
2. आंदेालनकारी नेताओं पर से झूठे मुकदमों को वापस लेने, राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई और दलित-गरीबों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं के लिए हर मोर्चे पर न्याय की गारंटी 
3. बिहार के सच्चे जनपक्षी विकास के लिए भूमि सुधार को संपूर्णता में लागू करने, कृषि विकास व बटाईदारों के अधिकार के लिए जनांदोलन को और तेज करने 
4. दलित गरीबों के वास-आवास व भोजन के अधिकार आंदोलन को सभी गांव-पंचायतों में फैलाने तथा 
5. शिक्षा-स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और सम्मानजनक रोजगार के लिए जुझारू संघर्ष, और राज्य में रोजगार का अवसर बढ़ाने, बंद उद्योगों को चालू करने, कृषि आधारित व अन्य उद्योगों का जाल बिछान के लिए संघर्ष तेज करने का अपना संकल्प दुहराती है.

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