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क्षेत्रीय और अंतराष्ट्रीय फिल्मों को बायोस्कोप ने दिया एक मंच

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  • •  पहली बार भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों  और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों  को  एक साथ दिखाया जाएगा।
  • •  11 से 13 दिसंबर तक चलने वाले इस फिल्म महोत्सव में 22 क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं की चयनित फिल्मों को सम्मानित किया जायेगा।
  • •  15 चयनित फिल्मों को  2016 में पोलैंड, स्वीडेन और श्रीलंका में होने वाले फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा।


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नई दिल्ली। दिल्ली में 11 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन हो रहा है। न.डी.एम.सी. के कन्वेंशन सेंटर में 13 अक्टूबर तक चलने वाले इस महोत्सव में 22 क्षेत्रीय और अंतराष्ट्रीय फिल्मों की स्क्रीनिंग होगी। मनोरंजन के क्षेत्र में बेहतर करने वाले बेस्ट फीचर फिल्म, एक्टर, निर्देशक समेत कई अवॉर्ड्स भी वितरित किए गए जाएंगे। 13 दिसंबर को समापन समारोह के मौके पर गाला नाइट्स का आयोजन किया जायेगा जिस मौके पर  कई नामचीन  हस्तियां  गीत संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत  करेंगी.साथ ही इस मौके पर चाँद निज़ामी( कव्वाल), शाकिर अहमद( सितार वादन) और कुछ नामचीन बैंड्स संगीत प्रस्तुत करेंगी।  सबसे अहम है कि इस प्रयास को दिल्ली सरकार ने भी प्रोत्साहन दिया है। इस फिल्म महोत्सव का उद्घाटन दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया करेंगे। प्रिज्म ग्रुप के बैनर तले आयोजित होने वाले इस फिल्म समारोह के जूरी पैनल में मनोरंजन जगत की बड़ी हस्तियां शिरकत करेंगी। निर्णायक मंडल में लेखराज टंडन, मालती सहाय, पंडित गौतम कौल, रामेश्वरी, कंवलजीत सिंह, अनीस बजमी, मिलिंद यूके, शिरीष दोभाल, विनिता गुप्ता, ओम गुप्ता, सविता राज आदि शामिल हैं। बता दें कि इस फिल्म महोत्सव में चयनित 15 फिल्मों की स्क्रीनिंग अगले वर्ष पोलैंड, श्रीलंका और स्वीडन में होने वाले फिल्म महोत्सव में किया जाएगा।

फेस्टिवल डायरेक्टर ज्योति अरोड़ा का कहना है कि प्रिज्म ग्रुप के बैनर तले 11 दिसंबर से शुरू हो रहे बायोस्कोप ग्लोबल फिल्म महोत्सव एक प्रयास है, क्षेत्रीय भाषाओं को एक अलग पहचान दिलाने की। माध्यम मनोरंजन को बनाया गया है, स्वाभाविक है क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को प्रदर्शित कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने से हमारे देश का गौरव बढ़ेगा।

 बॉयोस्कोप ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल के मुख्य आयोजक आलोक भारद्वाज के मुताबिक इस बार की थीम महिला सशक्तिकरण रखा गया है. देखा जाये तो आज हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बढ़ा है. सिनेमा जगत में भी महिलाएं अग्रणी हैं। अपनी दूरदर्शिता, रचनात्मकता और मेहनत से सफलता की इबारत लिख रही है. श्री भारद्वाज का कहना है कि भारत में अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं की जो फिल्में तैयार हो रही हैं, उनके लिए यह बड़ा मंच होगा।

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