पटना, 05 दिसम्बर, हाल ही में संपन्न बिहार विधान सभा चुनावों के परिणाम संपूर्ण देष की एकता व अखंडता के लिए स्वागतयोग्य जनादेष है जो बिहार की आम जनता के बीच गहरे बैठी सेक्यूलर सोच को परिबिम्बित करते हैं । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अहंकारी प्रवृति और सांप्रदायिक व जातीय अपील को बिहार की जनता ने निर्णायक रूप से अस्वीकार कर दिया जिसके दूरगामी परिणाम अगले वर्ष पाँच राज्यों:- पं॰ बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु व पुदूचेरी में होने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेंगे।
बिहार चुनावोें में जिस प्रकार का सांप्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण हुआ उसने संयुक्त वामपक्ष के लिए पर्याप्त स्पेस (स्थान) नहीं छोड़ा, फिर भी वामदलों की अपील आम जनता में बढ़ी है जिसे और आगे सुदृढ़ व समृद्ध करने के हर संभाव प्रयास किए जाएंगे। जी॰एस॰टी॰ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा स्वरूप में इसमें प्रोडयूसर राज्यों के हितों की अनदेखी की गयी है, इसलिए इसे युक्ति संगत बनाने के लिए सभी राजनैतिक दलों व पक्षों के साथ चर्चा कर आम सहमति बनाना लाजिमी है।
केजरीवाल सरकर द्वारा दिल्ली प्रदेष में जनलोकपाल कानून बनाया जाना एक स्वगतयोग्य कदम है जिसके हक में भाकपा पहले से ही रही है। दिल्ली में विधायकों को दी जाने वाली सुविधाओं व वेतनमान में वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि विधायकों के भ्रष्टाचार पर यदि रोक लगाया जाए तभी इसे युक्तिसंगत माना जा सकता है। मनरेगा में की जा रही कटौती को ग्रामीण भारत के श्रमिकों व गरीबों के हितों पर कुठाराघात बताते हुए उन्होंने इसके खिलाफ संघर्ष की जरूरत पर बल दिया।
बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में शराबबंदी लागू करने की घोषणा का उन्होंने स्वागत किया और अपील की कि सिर्फ दिखावे की कार्रवाइयों से नहीं, बल्कि चुनावी वादों को त्वरित गति से लागू करके ही जनादेष को अर्थपूर्ण बनाया जा सकता है बर्ना जनाक्रोष उभरने में समय नहीं लगेगा। प्रेस वात्र्ता में श्री के॰ नारायणा के अलावे पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह और जनसंवाद अभियान विभाग के सचिव रामबाबू कुमार (सचिवमंडल सदस्य) उपस्थित थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कल पार्टी के प्रत्याषियों की बैठक में हिस्सा लेने के उपरान्त आज और कल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य परिषद की बैठक में भाग ले रहे हैं जहाँ विगत विधान सभा चुनाव की गहन समीक्षा की जानी है।