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असहिष्णुता के मसले पर देशवासियों को डरने की जरूरत नहीं : जस्टिस ठाकुर

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नयी दिल्ली 06 दिसम्बर, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने आज कहा कि असहिष्णुता राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण विषय हो सकता है, लेकिन लोगों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि शीर्ष अदालत कानून के शासन के लिए मौजूद है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने यहां मीडियाकर्मियों के साथ चाय पर चर्चा के दौरान कहा कि देश में असहिष्णुता को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है, लेकिन इसे लेकर देशवासियों को तब तक डरने की कोई जरूरत नहीं है, जब तक उच्चतम न्यायालय मौजूद है और कानून के शासन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का काम संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना है और देश में जब तक यह कोर्ट है तब तक कानून का शासन मौजूद रहेगा और देशवासियों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।” 

गत तीन दिसम्बर को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद न्यायमूर्ति ठाकुर की मीडियाकर्मियों से यह पहली बातचीत थी। गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से असहिष्णुता को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है और इसके मद्देनजर 50 से अधिक साहित्यकारों, कलाकारों, वैज्ञानिकों और फिल्मकारों ने अपने पुरस्कार लौटाये हैं। इन सभी का आरोप है कि केन्द्र सरकार जानबूझकर दक्षिणपंथी ताकतों को बढ़ावा दे रही है। हालांकि केन्द्र सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए एक-एक दिन के अंतर पर सम और विषम नंबर वाली कारों के चलाने के केजरीवाल सरकार के फैसले का भी समर्थन किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें इस फैसले से कोई दिक्कत नहीं है।

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