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मूर्ति चोरी के मामले में कुख्यात अपराधी गिरफ्तार

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जमुई 09 दिसम्बर, बिहार में जमुई जिले के खैरा थाना क्षेत्र स्थित भगवान महावीर की जन्मस्थली से 2600 साल पुरानी मूर्ति चोरी के मामले में पुलिस ने कल देर रात कुख्यात अपराधी प्रकाश रजक को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार कर लिया । पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने आज यहां बताया कि सूचना के आधार पर जमुई से गयी विशेष टीम ने देर रात प्रकाश रजक को बरेली स्थित एक ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने बताया कि मूर्ति चोरी के समय प्रकाश का मोबाइल फोन का टावर लोकेशन भगवान महावीर के जन्म स्थान के निकट मिला था और वह फरार था । श्री जयंतकांत ने बताया कि पूछताछ में अपराधी ने स्वीकार किया है कि उसने मूर्ति का सौदा आगरा के कुख्यात मूर्ति तस्कर जाटव और मोहम्मद शलाउद्दीन के साथ 20 लाख रुपये में की गयी थी । उन्होंने बताया कि अपराधी ने यह भी स्वीकार किया है कि इसके एवज में उसने जाटव और शलाउद्दीन से पांच लाख रुपये अग्रिम के तौर पर ले लिये थे । 

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि प्रकाश रजक पर जिले के विभिन्न थानों में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह फरार चल रहा था । उन्होंने बताया कि गिरफ्तार अपराधी जिले के खैरा थाना क्षेत्र के रोपावेल गांव का निवासी है और पुलिस उसे लेकर जमुई आ रही है । अपराधी से पूछताछ के बाद इस मामले में बड़े गिरोह का खुलासा होने की संभावना है। श्री जयंतकांत ने बताया कि मूर्ति चोरी होने के बाद से पुलिस की विशेष टीम आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी । उन्होंने बताया कि घटना के बाद से प्रकाश रजक उत्तर प्रदेश में जाकर छिप गया था और बार-बार वह ठिकाना बदल रहा था । हालांकि पुलिस की ओर से अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे थे । गौरतलब है कि 28 नवम्बर को तड़के बिहार में जमुई जिले के लछुआड़ स्थित जन्मस्थानम से जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर की कसौटी पत्थर से बनी तीन फीट ऊंची और ढ़ाई फीट चौड़ी बेशकीमती मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया था। इस मूर्ति की स्थापना भगवान महावीर के भाई नंदीवर्धन ने जन्मस्थानम में 2600 सौ वर्ष पहले कराई थी। 
हीरा जड़ित इस मूर्ति की कीमत करोड़ों रुपए आंकी गयी थी। पुलिस ने छह दिसम्बर को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बिछवे गांव के निकट सड़क किनारे से इस मूर्ति को बरामद किया था । मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई ) से कराने की अनुशंसा की थी। 

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