नयी दिल्ली 09 दिसम्बर, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने हस्तशिल्प क्षेत्र में भारत को और सशक्त बनाने के लिए किफायती ऋण सहित कई स्तराें पर ठोस एवं सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता जताई है। श्री मुखर्जी ने दक्ष शिल्पकारों और दस्तकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 2012, 2013 और 2014 का शिल्प गुरू एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करते हुये आज यहाँ कहा कि उन्हें यह जानकर बेहद प्रसन्नता हुई है कि भारतीय हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्यात में काफी बढ़ोतरी हो रही है। इतना ही नहीं, हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाओं की समीक्षा की गई है और एक व्यापक राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम भी शुरू किया गया है, जिसमें समग्र तरीके से हस्तशिल्प क्लस्टर के विकास के लिए समेकित दृष्टिकोण पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा, “मैं मानता हूँ कि हमें कई सारे स्तरों पर ठोस एवं सामूहिक कदम उठाने की जरूरत है, जिनमें इन क्षेत्रों के लिए बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से किफायती दरों पर ऋण तथा घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हस्तशिल्प उत्पादों का संवर्द्धन शामिल है।”
श्री मुखर्जी ने कहा कि 2014-15 में हस्तनिर्मित कार्पेट सहित भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात बढकर 36 हजार 189 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 30 हजार 614 करोड़ रुपये पर था। उन्होंने घरेलू बाजारों में हस्तशिल्प उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता का जिक्र करते हुए कहा कि देश के शहरी हिस्सों के साथ-साथ घरेलू बाजारों में भी हस्तशिल्प उत्पादों की पहुंच और बिक्री बढ़ी है। उन्होंने कौशल विकास, नयी डिजाइनों के विकास, प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाकर और कलस्टर स्तरों पर सुविधा केंद्रों के के माध्यम से कच्चे माल उपलब्ध कराकर शिल्पकारों और दस्तकारों को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि भारतीय शिल्पकार न केवल देश की कला और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि रोजगार सृजन करके अर्थव्यवस्था में महती भूमिका भी निभा रहे हैं। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने वालों से अपील की कि वे भविष्य में भी अपनी शिल्पकला का जौहर दिखाते रहेंगे। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर 21 शिल्पकारों को शिल्पगुरू पुरस्कार और 59 को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। शिल्पगुरू पुरस्कार पाने वालों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।