पटना 11 दिसम्बर, बिहार के वित्त मंत्री अब्दुलबारी सिद्दिकी ने राज्य को विशेष दर्जा दिये जाने की मांग दुहराते हुए आज कहा कि वित्तीय स्रोतों के मामले में राज्य की स्थिति पहले से ही कमजोर है और सातवें वेतन आयोग को लागू करने से इस संकट के और बढ़ने की आशंका है। श्री सिद्दिकी ने आज यहां एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री) में आयोजित 14वें वित्त आयोग के प्रस्ताव एडवोकेसी पेपर पर चर्चा करते हुए करते हुए आज कहा कि केन्द्र की ओर से सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के लागू होने पर राज्य सरकार पर भी इसे लागू करने का दवाब बढ़ेगा। यदि राज्य सरकार इन अनुशंसाओं को लागू करती है तो राज्य पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। इसके अलावा केन्द्रीय योजनाओं के केन्द्रांश में कटौती से भी राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले ही वित्तीय स्रोत के मामले में राज्य काफी पिछड़ा हुआ है। वित्त आयोग के मानदंड में बिहार को विशेष दर्जा की सुविधा मिलना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय स्रोतों को मजबूत करने के लिए राज्य में टैक्स लगाना ही एकमात्र ईलाज नहीं है। इसके लिए सरकार अन्य उपाय तलाशने होंगे। इनमें खर्च में कटौती के अलावा सरकार को कामकाज के तरीके में भी बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा कि इसका एक कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव भी हो सकता है।
श्री सिद्दिकी ने कहा कि राज्य की वास्तविक स्थिति पर भी वित्त आयोग को गंभीरता से आंकलन करना चाहिए। बिहार में विभिन्न राजनीतिक दल भी राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर एकमत हो रहे है जो राज्य के लिए शुभ संकेत है। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है । गुजरात जहां मैनफैक्चरिंग स्टेट है वहीं बिहार कंज्यूमर स्टेट है। बिहार जैसे राज्यों के लिए अलग योजना होना चाहिए जिसमें यहां की जरूरतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। बिहार प्रतिवर्ष बाढ़ की समस्या से रूबरू होता है। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि आय की अनुसार ही परिवार को चलाना चाहिए और बचत को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राज्य की अपनी अपनी भौगोलिक स्थिति है जिसके कारण उनकी समस्यायें अलग अलग है और आमदनी स्रोत भी उसी प्रकार के हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी योजना बनाने से पहले व्यवहारिक पक्ष देखने के बाद योजना का स्वरूप बनना चाहिए। श्री सिद्दीकी ने कहा कि बिहार की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए सभी राजनीतिक दलों से राय मांगी गयी है। उन्होंने राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि वे दलगत भावना से उपर उठकर राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए अपने बहुमूल्य सुझाव सरकार को दें।