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संविधान की गलत व्याख्या और महिला विरोधी बयान दे रहे हैं गृह मंत्री: कविता कृष्णन

  • शराबबंदी लागू करने में ना-नुकूर नहीं करे नीतीश सरकार, महिला आरक्षण बिल को बजट सत्र में पास करे सरकार: ऐपवा
  • मानदेय कर्मियों खासकर महिला कर्मियों के मानदेय में वृद्धि के लिए किया जाएगा संघर्ष
  • ऐपवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 5 लाख सदस्यता भर्ती का करने गया लक्ष्य

पटना 12 दिसंबर 2015, आज के राजनैतिक परिदृश्य में देश में बढ़ता सांप्रदायिक माहौल व तनाव बेहद चिंता का विषय है. आज देश में फासीवादी ताकतों द्वारा देश की साझी-संस्कृति को तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसपर सरकारी सहमति है. सहिष्णुता की आड़ में असहिष्णु हिंसक वारदातों और प्रतिरोध करने वालों, एवार्ड वापस करने वाले बुद्धिजीवियों एवं संस्कृतिकर्मियों को राष्ट्रदोही घोषित करने जैसी कार्यवाइयों ने देश में अस्थिरता एवं भय का माहौल बनाया है. इस परिस्थिति में ऐपवा ने मोदी सरकार को सबक सिखाने और जोर का झटका देने के लिए बिहार की जनता को बधाई दी है. 

देश के गृहमंत्री न केवल संविधान की गलत व्याख्या कर रहे हैं बल्कि लगातार महिला विरोधी बयान दे रहे हैं. वे धर्मनिरपेक्षता पर लगातार प्रहार कर रहे हैं, लेकिन यह हर कोई जानता है कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है. गृह मंत्री बयान दे रहे हैं कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक दलित के कहने पर राम ने सीता को बनवास भेज दिया. यह घोर महिला विरोधी बयान है और इसकी हम निंदा करते हैं. देश की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकार भी महिला आरक्षण बिल को लागू करने में लगातार आनाकानी कर रही है. इस मसले पर भाजपा व कांग्रेस के बीच एकता है. बजट सत्र में महिला आरक्षण बिल को पारित करवाने के लिए हम आंदोलन चलायेंगे और इस मसले पर केंद्रीय मंत्रियों से मिलने का भी निर्णय लिया गया है.

सरकार महिला योजनाओं में लगातार कटौती कर रही है, इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं. ठेका-मानदेय कर्मियों खासकर महिला कर्मियों के प्रति सरकार को रवैया उपेक्षापूर्ण है. हमने मानदेय कर्मियों की वेतन वृद्धि व स्थायी रोजगार के लिए संघर्ष को निर्णायक दौर में ले जाने का निर्णय किया है. बढ़ती हुई महंगाई, बेरोजगारी, गरीबों से दूर होती शिक्षा और इसके कारपोरेटीकरण के विरोध और उन्हें दूर करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने आदि कार्यभार ऐपवा के सामने है. महिलाओं के बुनियादी सवाल समान मजदूरी, सुरक्षा, सम्मान और सुरक्षित माहौल पर देश में भर में चल रहे आंदोलनों को और तेज करने का निर्णय लिया गया.
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बिहार सरकार से पूर्णरूपेण शराबबंदी की मांग की. यदि सरकार इसमें ना-नुकुर करती है तो जोरदार आंदेालन चलाया जाएगा. नीतीश सरकार की मंशा दिख रही है कि वह केवल देशी शराब पर प्रतिबंध लगाना चाहती है, लेकिन हम पूर्णतः शराबबंदी चाहते हैं. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐपवा की सदस्यता 5 लाख तक करने की योजना बनी है. खासकर युवा महिलाओं के बीच संगठन निर्माण व उनके सवालों पर आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय किया गया है. युवा महिलाओं बैठकों व सम्मेलनों के जरिए उन्हें संगठन से जोड़ने का काम किया जाएगा और ऐपवा की चैतरफा पहलकमदमी तेज की जाएगी.

दो दिवसीय बैठक में दिल्ली से कविता कृष्णन, आंध्रप्रदेश से नागमणि और अरूणा, पंजाब से इकबाल उदासी, उत्तरप्रदेश से विद्या रजवार व कृष्णा अधिकारी, कार्बी से प्रतिमा इगिबी व रेखा, झारखंड से गीता मंडल व ललिता, बिहार से सोहिला गुप्ता, शशि यादव, अनीता सिन्हा, सरोज चैबे, डाॅ. भारती एस कुमार एवं मीना तिवारी एवं अन्य ऐपवा की नेताओं ने भाग लिया.

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