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भारत-जापान के बीच परमाणु सहयोग, बुलेट ट्रेन सहित 16 समझौते

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नयी दिल्ली, 12 दिसम्बर, भारत और जापान ने अपने रिश्तों को नयी ऊंचाई देते हुए आज परमाणु सहयोग, रक्षा क्षेत्र तथा बुलेट ट्रेन परियोजना समेत 16 करारों पर हस्ताक्षर किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच शिखर बैठक के दौरान 12 अरब डॉलर के भारत-जापान मेक इन इंडिया कोष बनाये जाने पर भी सहमति हुई। दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। श्री मोदी ने इस एमओयू को परस्पर विश्वास और रणनीतिक भागीदारी का एक नया प्रतीक बताते हुए कहा कि दोनों देशों ने अपनी सहयात्रा में नयी ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग को लेकर हुआ करार केवल व्यावसायिक और स्वच्छ ऊर्जा का समझौता नहीं है, बल्कि यह शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित दुनिया के लिए परस्पर विश्वास एवं रणनीतिक भागीदारी के नये मुकाम का प्रतीक है।’’ 

भारत और जापान के बीच बहुप्रतीक्षित बुलेट ट्रेन परियोजना पर भी करार हुए। यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी। करार के तहत बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जापान भारत को कुल 12 अरब डॉलर यानी करीब 80,400 करोड़ रुपये का कर्ज देगा। जापान की ओर से यह कर्ज 0.1 प्रतिशत की ब्याज दर पर 50 साल की अवधि के लिए दिया जाएगा। इस पर पहले 15 साल तक कोई ब्याज नहीं चुकाना होगा। जापान बुलेट ट्रेन के लिए भारत को चरणबद्ध तरीके से प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भी करेगा। श्री मोदी ने इसे एक ऐतिहासिक समझौता बताते हुए कहा कि इससे भारतीय रेलवे में क्रांति आएगी। उन्होंने कहा, ‘गति, भरोसे और सुरक्षा की दृष्टि के लिए मशहूर जापान की शिन्कान्सेन कंपनी के माध्यम से मुंबई-अहमदबाद रेलखंड पर हाईस्पीड रेल चलाने का फैसला कम ऐतिहासिक नहीं है।” मालाबार क्षेत्र में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच होने वाले युद्धअभ्यास में जापान के नियमित रूप से हिस्सा लेने के बारे में भी समझौते पर हस्ताक्षर हुए। मालाबार सैन्यअभ्यास एक साल के अंतर पर होता है। गत अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में हुए इस अभ्यास में जापानी नौसेना ने भी हिस्सा लिया था। इस अभ्यास के माध्यम से दोनों नौसेनाओं की क्षमता बढ़ेगी और वे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों से मजबूती से निपट सकेंगे। 

श्री मोदी और श्री आबे ने सुरक्षा तथा रक्षा क्षेत्र में संवाद बढ़ाने तथा आदान-प्रदान कार्यक्रमों को ‘टू प्लस टू डायलॉग, रक्षा नीति संवाद , सैन्य संपर्क और तटरक्षक बलों के बीच सहयोग तथा संपर्क के जरिये आगे बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने वायु सेनाओं के स्तर पर वार्ता शुरू करने के निर्णय का भी स्वागत किया। भारत और अमेरिकी नौसेनाओं के बीच मालाबार अभ्यास श्रृंखला 1992 से चल रही है। इस अभ्यास में नौसेना विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ विमानवाहक पोतों से युद्ध अभ्यास भी करती है। भारत और जापान ने रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग का भी समझौता किया है। इसके तहत रक्षा तथा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों एक दूसरे को रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के साथ साथ संयुक्त शोध, विकास और उत्पादन परियोजनाओं में हिस्सेदारी करेंगे। दोनों देशों ने एक दूसरे के कानूनों के तहत गोपनीय सैन्य जानकारी को बनाये रखने का समझौता भी किया। दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग पर एमओयू के अलावा दूसरे जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए उनमें दोहरे कराधान वर्जन संधि (डीटीएए), सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में समझौते को लेकर अभिरुचि पत्र, दोनों देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच समन्वय बढ़ाने तथा केरल में लघु एवं मध्यम उपक्रमों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार से सहमति ज्ञापन आदि महत्वपूर्ण हैं। 

भारत-प्रशांत क्षेत्र तथा दुनिया में शांति एवं समृद्धि के लिए विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को लेकर ‘भारत-जापान दृष्टिकोण 2025’ पर एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया। विजन 20125 के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दोनों देशों ने एक व्यापक एवं ठोस मध्यम एवं दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाने का फैसला किया है। बाद में, एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान परमाणु विदेश सचिव एस. जयशंकर ने परमाणु सहयोग करार के बारे में स्पष्ट किया कि परमाणु सहयोग की तकनीकी बारीकियों का निर्धारण करने और जरूरी आंतरिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। हालांकि उन्होंने समझौते के हस्ताक्षर के लिए कोई समय सीमा बताने से इन्कार कर दिया। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से अलग रहने के बावजूद भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रति दुनिया का विश्वास कायम है और एनपीटी का असर भारत एवं जापान के परमाणु सहयोग समझौते पर कतई नहीं पड़ेगा। 

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