नयी दिल्ली, 16 दिसंबर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिये भारत अन्य देशों की तरह युद्ध को ही एकमात्र विकल्प नहीं मानता है और पड़ोसी देश से बातचीत के जरिये इसका रास्ता निकाला जा सकता है। श्रीमती स्वराज ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिये युद्ध अकेला रास्ता नहीं है। हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करके इस समस्या को सुलझाने के लिये नयी पहल की है। हम चाहते हैं कि बातचीत से ही रास्ता निकले और देश पर से आतंकवाद का साया हट जाये।
उन्होंने बताया कि दाेनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैंकॉक में हुई बैठक में बातचीत आतंकवाद पर हुई और उसमें पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों का मुद्दा भी शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। इसलिये बैंकॉक में केवल आतंकवाद पर ही बात हुई। कोई भी बातचीत भरोसे पर ही चलती है। जब हमने तय किया है कि कोई तीसरा देश हमारी मध्यस्थता नहीं करेगा तो बातचीत दोनों देशों के बीच ही होनी है। श्रीमती स्वराज ने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा तय करने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में एक प्रस्ताव रखा था जो अभी तक लंबित है। प्रधानमंत्री ने पिछली बार भी इस मुद्दे काे उठाया था और विभिन्न देशों के साथ वार्ता में भी इसे पारित करने का अनुरोध किया है। इसका अच्छा रिस्पांस देखने को मिला है और उम्मीद है कि जल्दी ही संयुक्त राष्ट्र इसे पारित कर दिया जायेगा।