प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर मुख्य विपक्षी दल बीजेपी भड़की हुई है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि ये प्रेसवार्ता प्रधानमंत्री की विदाई की घोषणा के लिए थी। चूंकि वे ये घोषणा कर चुके हैं इसलिए हम उनकी अच्छी सेहत और लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रेसवार्ता में मान लिया है कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले में फेल हुई, बेरोजगारी रोक नहीं पाई और महंगाई काबू में नहीं कर पाई। किसी भी शासन के ये तीन मापदंड बताते हैं कि सरकार पूरी तरह से विफल रही है। जेटली ने कहा कि 2जी और कोल आवंटन के मामले में भ्रष्टाचार हो रहा था लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की। उन्होंने नए तर्क का निर्माण किया, कि ये पिछले कार्यकाल के हैं और उसके बाद वे 2009 का चुनाव जीत चुके हैं। सवाल ये कि क्या चुनाव जीतने से भ्रष्टाचार के आरोप अपने आप रद्द हो जाते हैं। मनमोहन सिंह का ये तर्क वो अपराधी भी प्रयोग कर सकते हैं जो चुनाव जीत जाते हैं। इस तर्क की अनुमति नहीं है।
उन्होंने कहा कि पीएम ने अपने जवाबों में कई बार ये वाक्य दोहराया कि ‘ये इतिहासकारों को लिखना है या समय बताएगा’। लोकतंत्र में समय नहीं बताता बल्कि जनता बताती है और जनता बता चुकी है। इतिहासकार जरूर दोमत हों लेकिन मतदाता का एक ही मत है। 2009 में चुनाव परिणाम ने सरकार को अगर करप्शन के आरोपों से मुक्त कर दिया तो क्या अभी के चुनाव परिणाम उनकी विफलता को बयान नहीं करते।