सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के बंटवारे की प्रकिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू और न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई एक वृहत्तर संविधान पीठ में होनी चाहिए क्योंकि इसमें संवैधानिक मुद्दा शामिल है और बड़ी पीठ ही यह तय कर सकती है कि तेलंगाना के गठन को रोका जाए या नहीं।
नए राज्य के रूप में 2 जून को तेलंगाना अस्तित्व में आ जाएगा। देश के 29वें राज्य के रूप में इसके गठन पर संसद मुहर लगा चुकी है। शीर्ष अदालत द्वारा 7 और 17 फरवरी को तेलंगाना के गठन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ध्यान देने से मना करने के बाद नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह नोटिस आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी सहित अन्य लोगों की याचिका पर नोटिस जारी किया है। रेड्डी ने उल्लेख किया है कि राज्य का विभाजन संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है कि संसद की शक्ति की कुछ जटिलताएं हैं और नए राज्य का गठन करने के समय राज्य विधानसभा के विचारों को तवज्जो दिए बगैर यह असीमित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत केवल सीमाओं में बदलाव या किया जा सकता है न कि एक राज्य को खत्म किया जा सकता है।