पटना। अगर आप चर्च परिसर में स्थित मिशनरी स्कूलों में मतदान केन्द्र बनाएंगे तो ईसाई धर्मावलम्बी मुश्किल में पड़ जाएंगे। यह अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के नेताओं का कहना है। आखिर धर्मावलम्बी किस तरह से चर्च में जाकर आराधना कर सकेंगे। ईसाई समुदाय का 13 से 20 अप्रैल तक खास दिन है। इसे पवित्र सप्ताह कहा जाता है।
अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के अध्यक्ष एस.के.लौरेंस और सचिव एम्ब्रोस पैट्रिक कहते हैं कि अप्रैल 13 रविवार को पाम संडे है।14 सोमवार को अम्बेडकर जयंती है।15 मंगलवार को पवित्र दिन है।16 बुधवार को क्रूस रास्ता है।17 गुरूवार को परमप्रसाद के स्थापना और पैर धुलाई कार्यक्रम है।18 शुक्रवार को गुड फ्राइडे है।19 को ईस्टर की पूर्व संध्या है।20 को ईस्टर है। इस दिन चर्च परिसर में मिशनरी स्कूलों में चहलकदमी बढ़ जाती है। धर्मावलम्बी आते और जाते रहते हैं। उसी दिन चुनाव की तिथि निर्धारित कर दी गयी है। तब लोग किस तरह से चर्च में जाकर आराधना करेंगे।
चुनाव के दिन ईसाई सरकारी कर्मचारी कर्तव्य निर्वाह करने में मौजूद रहेंगे। तो ऐसे लोग धार्मिक कार्यक्रमों से महरूम हो जाएंगे। अब गेंद मुख्य चुनाव आयुक्त और जिला चुनाव अधिकारियों के पाले में है। अब इनको निर्णय करना है कि चर्च परिसर में स्थित मिशनरी स्कूलों में मतदान केन्द्र नहीं बनाए। उसी तरह मुठ्ठीभर ईसाई सरकारीकर्मी को 17 अप्रैल 2014 को होने वाले चुनाव कार्यक्रम से अलग कर दिया जाए।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के संयोजक सिसिल साह ने अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर.लक्ष्मणन से आग्रह किए हैं कि ओर सही समय पर ठोस कदम उठाकर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की भावनाओं को समझे। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र का चुनाव 17 अप्रैल को होना है। यहां पर 20 हजार की संख्या में ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं। इसी दिन मुंगेर, जहानाबाद, बक्सर और आरा में भी चुनाव होना है।
आलोक कुमार
बिहार