समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को मुलायम सिंह यादव को आजमगढ़ से भी प्रत्याशी घोषित कर भाजपा के नरेंद्र मोदी को यूपी की सियासी चौसर पर घेरने की एक और चाल चली है। मुलायम मैनपुरी की अपनी परंपरागत सीट से भी परचा दाखिल करेंगे। प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा जीतने के लिए सपा 'करो या मरो'की नीति पर चल रही है।
पहले पार्टी ने भाजपा की रैली के साथ-साथ यूपी में चुनावी रैलियां की और अब 15 मार्च को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के वाराणसी से प्रत्याशी घोषित होने की तीसरे दिन मुलायम सिंह यादव को आजमगढ़ से भी प्रत्याशी घोषित कर दिया। वाराणसी से बमुश्किल 90 किलोमीटर दूर स्थित आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र सपा के 'माइ' [मुसलमान-यादव] समीकरण में फिट बैठता है। इस क्षेत्र में इन दोनों जातियों के मतदाताओं की संख्या 50 फीसद से भी ज्यादा है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने बताया कि मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के साथ मैनपुरी सीटे भी चुनाव लड़ेंगे। पूर्वाचल के कार्यकर्ताओं के बढ़ते दबाव के चलते संसदीय बोर्ड ने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को आजमगढ़ से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुलायम के मैदान में उतरने से पूर्वाचल के तीन मंडलों की सीटों पर चुनावी समीकरणों में जबर्दस्त उलट-पलट होगा। सपा का प्रभाव बढ़ेगा और मोदी का प्रभाव कम किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि सपा ने अक्टूबर 2013 में राज्य के पंचायती राज मंत्री बलराम यादव को आजमगढ से प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ने से हाथ खड़े कर दिये। कुछ समय बाद समाजवादी पार्टी ने जिलाध्यक्ष हवलदार सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था।