फेडरल रिजर्व के कदमों की वजह से आज डॉलर के मुकाबले रुपए में कुछ कमजोरी जरूर है लेकिन निचले स्तरों से इसमें काफी सुधार देखने को मिला है। दिन के कारोबार में रुपया 43 पैसे कमजोर होकर 61.38 के स्तर तक गिर गया था। हालांकि इस वक्त इसमें मामूली कमजोरी दिख रही है।
पिछले साल अगस्त में रुपए ने 68.84 प्रति डॉलर का रिकॉर्ड निचला स्तर बनाया था। और अब तक इसमें 11 फीसदी से ज्यादा की रिकवरी आ चुकी है और जानकारों का कहना है कि अगले तीन महीनों में रुपया 57 के स्तर तक पहुंच सकता है यानि मौजूदा स्तर से करीब 6.5 फीसदी की मजबूती और आने की उम्मीद है।
दरअसल, रघुराम राजन की कोशिशों और ओपीनियन पोल में नरेंद्र मोदी की जीत के कयासों के दम पर ये 61 के स्तर तक पहुंच गया है। बल्कि पिछले कुछ दिनों में तो डॉलर का भाव 61 के नीचे भी जाता दिखा। साथ ही नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद में जनवरी से अब तक एफआईआई इक्विटी और बॉन्ड बाजार में करीब 800 करोड़ डॉलर का निवेश कर चुके हैं और ये खरीदारी आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा करेंट अकाउंट घाटे में आई कमी ने भी रुपए को मजबूती दी है।
जानकारों के मुताबिक स्थिर सरकार की उम्मीद में रुपए में तेजी देखी जा रही और चुनाव तक ये 59 के स्तर तक मजबूत हो सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका के एमडी और कंट्री ट्रेजरर जयेश मेहता का कहना है कि रुपया आगे और मजबूत होगा और चुनाव तक रुपये में और मजबूती मुमकिन है। आगे स्थिर सरकार की उम्मीद में रुपया मजबूत हो रहा है और चुनाव तक रुपये में 59 का स्तर मुमकिन है।
इंडिया फॉरेक्स के सीईओ अभिषेक गोयनका का कहना है कि रुपये में राजनीतिक हलचल का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। हालांकि वैश्विक स्तर पर डॉलर की मजबूती बरकरार रहने वाली है। आने वाले 1 महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया 62-63 तक जा सकता है, क्योंकि वैश्विक खबरों से रुपये को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
वहीं अभिषेक गोयनका का मानना है कि चुनाव बाद अर्थव्यवस्था को लेकर उदारवादी रूख वाली सरकार आती है तो रुपये में 3-4 फीसदी की मजबूती संभव है। हालांकि अगर अर्थव्यवस्था को लेकर उदारवादी रूख वाली सरकार नहीं आई तो रुपये में जोरदार कमजोरी दिखाई देगी।