अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रह चुके जसवंत सिंह ने सोमवार को राजस्थान के बाड़मेर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप नामांकन पत्र दाखिल किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मुझे बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद प्राप्त है। गौरतलब है कि बीजेपी ने बाड़मेर से पिछले सप्ताह ही कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए जाट नेता कर्नल सोनाराम को टिकट दिया है।
जसवंत सिंह के नामांकन पर बीजेपी ने कहा कि वह नाम वापस लेने की तारीख तक जसवंत का इंतजार करेगी। अगर उन्होंने उम्मीदवारी से नाम वापस नहीं लिया तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले रविवार को उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ने का ऐलान करते हुए पार्टी पर हमला भी बोला था। उन्होंने कहा था कि न तो मैं जातियों की राजनीति करता हूं और न ही मेरे अंदर किसी तरह का घमंड है। उन्होंने अरुण जेटली के अजस्ट करने वाले बयान को अहंकार से भरा बताया था। उन्होंने कहा था कि मैं कोई मेज या कुर्सी नहीं हूं, जिसे कहीं भी अजस्ट कर दिया जाए। मैं कभी अजस्ट की राजनीति में विश्वास नहीं रखते हैं। गौरतलब है कि जेटली कहा था, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उन्हें अजस्ट नहीं कर पाए। पार्टी उनके लिए कोई और विकल्प खोजेगी।'
इसके पहले शनिवार को जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने पार्टी के कामकाज से एक महीने की छुट्टी मांगी है। बीजेपी विधायक मानवेंद्र ने खराब सेहत का हवाला दिया है। हालांकि, दबी जुबान से यह कहा जा रहा है कि वह अपने पिता को टिकट न दिए जाने से नाराज हैं।