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वागड़ सांस्कृतिक-साहित्यिक ऊर्जाओं का अखूट स्रोत - संतश्री हरिओमशरणदास महाराज

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  • लालीवाव में ‘ आत्मीयता के शब्दकोष’ काव्य संकलन पर समीक्षा चर्चा

lalvani news
बांसवाड़ा, 26 मार्च/ऎतिहासिक लालीवाव मठ के पीठाधीश्वर,  महामण्डलेश्वर संत श्री हरिओमशरणदास महाराज ने कहा है कि वागड़ अंचल साहित्यिक-सांस्कृतिक ऊर्जाओं का अखूट भण्डार है और इसे देखते हुए यहां की प्रकाशन यात्रा को और अधिक गति प्रदान करने की जरूरत है। इसके लिए साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों और संस्थाओं को आगे आना चाहिए।
        
महामण्डलेश्वर हरिओमशरणदास महाराज ने सुरभि साहित्य एवं कला परिषद द्वारा प्रकाशित एवं साहित्यकार घनश्याम नूर द्वारा संपादित काव्य संकलन ‘‘ आत्मीयता के शब्दकोष’’ पर यहाँ लालीवाव मठ में बुधवार को हुई समीक्षा गोष्ठी में यह बात कही। 
        
पुस्तक के संपादक घनश्याम नूर ने महंतश्री को ‘आत्मीयता के शब्दकोष’ की प्रतियां देश के संत साहित्यकारों में वितरण के लिए भेंट की और विश्वास व्यक्त किया कि इससे वागड़ की माटी की सौंधी गंध देश के विभिन्न हिस्सों के साहित्याकाश में अपनी पहचान बनाकर महक फैलाएगी।
       
साहित्य-संस्कृति विषयक दस्तावेजीकरण जरूरी
लालीवाव पीठाधीश्वर ने कहा कि वागड़ का परंपरागत साहित्य और सांस्कृतिक धाराओं का अक्षुण्ण प्रवाह श्रुति परपंरा के माध्यम से पीढ़ियों तक संवहित होता आया है कि लेकिन अब समय आ गया है कि जब हम सभी को मिलकर यहाँ के पुरातन साहित्य, परंपराओं और संस्कृति की धाराओं का संग्रहण व दस्तावेजीकरण करने का बीड़ा उठाना होगा। यह काम साहित्य और संस्कृति जगत के पुरोधाओं तथा इस क्षेत्र के रचनाकारों व संस्कृतिकर्मियों को मिलकर करना होगा। यह उनका वागड़ पर उपकार होगा, साथ ही मातृभूमि के ऋण से उऋण होने के अवसर भी प्रदान करेगा।
       
वागड़ की रचनाधर्मिता का प्रतिदर्श
महंतश्री ने काव्य संग्रह ‘ आत्मीयता के शब्दकोष’ को वागड़ की रचनाधर्मिता का समेकित दस्तावेज निरूपित किया और कहा कि इसके माध्यम से नवोदित से लेकर स्थापित 163 रचनाकारों को एक ही स्थान पर पढ़ने और समझने का मौका मिला है, साथ ही यह वागड़ के रचनाधर्म का प्रतिदर्श भी है जिससे यहां की रचनाधर्मिता और रचनाकारों के काव्य सौष्ठव का परिचय मिलता है।
        
इस बेहतरीन पुस्तक के लिए महंतश्री ने पुस्तक के संपादक घनश्याम नूर को बधाई दी और कहा कि इस प्रकार का प्रयास निरन्तर जारी रखा जाना चाहिए। महंतश्री ने कहा कि इस बारे में लालीवाव मठ की ओर से हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
       
सूत्रधारों ने कहा- यात्रा जारी रहेगी
जाने-माने गीतकार हरीश आचार्य ने ‘आत्मीयता के शब्दकोष’ की प्रकाशन यात्रा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और कहा कि वागड़ अंचल में इस प्रकार के प्रयासों को बढ़ावा दिए जाने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।  काव्य संकलन के संपादक घनश्याम नूर ने इस अवसर पर बताया कि वागड़ अंचल में इसी प्रकार से साहित्य प्रकाशन यात्रा को निरन्तर जारी रखा जाएगा।
       
गागर में सागर है काव्य संकलन  
समाजसेवी लोकेन्द्र भट्ट ने पुस्तक में समाहित कवियों का परिचय दिया और कहा कि एक ही स्थान पर सभी रचनाकारों का समावेश गागर में सागर की तरह है और इससे वागड़ की रचनाधर्मिता को और अधिक प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
        
इस अवसर पर महंत अभिरामदास महाराज, नरहरि भट्ट, महंत गणेशदास महाराज, महंत नारायणदास बंगाली, समाजसेवी ईश्वरलाल जोशी, सुखलाल तेली, दीपक तेली, गोपाल तंवर, प्रवीण गुप्ता आदि ने विचार रखे।


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