भोपाल - ज्योतिष एक पवित्र विद्या है जिसका अध्यन पठन-पाठन और अनुसंधान चलता रहना चाहिये, ज्योतिषीय ज्ञान से भारत वर्ष अनेक उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है इसलिये ज्योतिषी अपने ज्योतिषीय ज्ञान को और ज्यादा संमृद्ध बनायें। यह सदविचार गुफा मंदिर के मंहत श्री चन्द्रमादास त्यागी जी ने यहां नेहरू नगर स्थित ज्योतिषमठ संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय ज्योतिष शोध संगोष्ठी में व्यक्त किये। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक पंडित अयोध्या प्रसाद गौतम ने कहा कि भोपाल ज्योतिष की वाराणासी बनेगा, और इसके लिये ज्योतिषमठ संस्थान अपने अध्ययन व अनुसंधान से पूरा सहयोग करेगा।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कोटा से अभिनवचंद्र दास, भोपाल से महाराज वैभव भटेेले, मुम्बई से कृष्णा सिंह और दिल्ली के पंडित पे्रम पाल कौशिक तथा जबलपुर से पंडित सूर्यकांत चतुर्वेदी आदि ने कई ज्योतिषीय तथ्य उदघटित किये। इन वक्ताओं का कहना था कि ज्योतिषी बनने के लिये मानदण्ड तय होना चाहिए। तिथि व तीज त्यौहार को लेकर उत्पन्न भ्रामक स्थिति को मिल बैठकर दूर करना चाहिऐ। ज्योतिष में कर्म भाग्य व पुरूषार्थ विषय पर आयोजित इस संगोष्टी को संबोधित करते हुये इन वक्ताओं ने यह भी कहा कि कर्म से भाग्य बनता है और भाग्य के सहारे व्यक्ति पुरूषार्थ को प्राप्त होता है।
इस अवसर पर राजधानी के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु राजौरिया संत मंग्लम् पंडित कैलाश चंद्र दुबे, पं. जगदीश शर्मा, पं. धमेन्द्र शास्त्री अंजना गुप्ता, डाॅ. सी.एल.पंचाल, जस्टिस् आर.डी.शुक्ला, लोकपाल जस्टिस् एस.एन. द्विवेदी, मौसम विज्ञान केन्द्र के उपनिर्देशक मंगलेशजी तथा ए.वी.एम. स्कूल के डायरेक्टर शैलेश जैन, प्रसिद्ध कथाकार पं. धनेश शास्त्री, पं. रामकिशोर शास्त्री आदि सहित सैकड़ों जन उपस्थित रहे।