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आरबीआई की दरें अपरिवर्तित, नहीं बदलेगी मासिक किस्तें


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को प्रथम द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य ब्याज दरों को पहले के ही स्तर पर बरकरार रखा और कहा कि यदि महंगाई दर में गिरावट जारी रही, तो निकट भविष्य में नीति सख्त किए जाने की उम्मीद नहीं है। ताजा समीक्षा में रेपो दर को आठ फीसदी पर बरकरार रखा गया। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से अल्पावधि जरूरतों के लिए ऋण लेते हैं।

इसी के मुताबिक रिवर्स रेपो दर को भी सात फीसदी पर बरकरार रखा गया। रिवर्स रेपो दर वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपने पास मौजूद सीमा से अधिक धन को आरबीआई के पास जमा रखते हैं। नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर बरकरार रखा गया और सीमांत स्थायी सुविधा और बैंक दरों को भी नौ फीसदी पर जस का तस छोड़ दिया गया। इन्हीं दरों के आधार पर वाणिज्यिक बैंक जमा और कर्ज दर तय करते हैं। इसलिए आवासी, वाहन तथा अन्य कर्ज से संबंधित मासिक किश्तों में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद है।

28 जनवरी को घोषित पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि कर दी गई थी। अधिकतर विश्लेषकों का भी यही अनुमान था कि आरबीआई मुख्य दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। समीक्षा घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, "एक मात्र चीज जो इस बार की मौद्रिक नीति में आश्चर्यजनक है, वह है किसी भी चीज का आश्चर्यजनक नहीं होना।"जन ने कहा कि आरबीआई की नीति पूरी तरह से महंगाई को कम करने पर केंद्रित है।

खाद्य और ईंधन महंगाई में गिरावट के चलते फरवरी माह में थोक महंगाई दर घटकर 4.68 फीसदी रह गई थी, जबकि उपभोक्ता महंगाई दर 25 महीने के निचले स्तर 8.10 फीसदी पर आ गया है। गवर्नर ने कहा, "रिजर्व बैंक की नीति पूरी तरह से महंगाई कम करने पर केंद्रित रहेगी। जिसके तहत जनवरी 2015 तक उपभोक्ता महंगाई दर के आठ फीसदी तक आ जाने और जनवरी 2016 तक और घटकर छह फीसदी तक आ जाने की उम्मीद है।"

उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में नीतिगत दरों को जस का तस छोड़ा जाना ही उचित है। साथ ही यदि महंगाई दर में इसी तरह से गिरावट जारी रहती है, तो फिलहाल निकट भविष्य में मौद्रिक नीति में सख्ती की उम्मीद नहीं है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर आरबीआई ने अब हर दो महीने पर मौद्रिक नीति की घोषणा करने का फैसला किया है। पिछले कुछ वर्षो से यह घोषणा 45 दिनों पर की जाती थी।

1990 के दशक में आरबीआई यह घोषणा साल में सिर्फ दो बार करता था। 1997 में गवर्नर बने बिमल जालान ने तिमाही मौद्रिक समीक्षा का रिवाज शुरू किया और उनके बाद गवर्नर वाई.वी. रेड्डी ने मध्य तिमाही समीक्षा शुरू की थी। अगली द्विमाही समीक्षा घोषणा तीन जून 2014 को होगी। इस बीच उद्योग जगत ने समीक्षा घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया में दरों में कटौती पर जोर दिया और कहा कि कारोबारी माहौल बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, "औद्योगिक विकास दर लंबे समय से कम है। जनवरी की औद्योगिक विकास दर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। विकास दर के और नीचे नहीं जाने को कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहा है। आने वाले दिनों में सरकारी कदम और आरबीआई की नीति में सहयोग जरूरी होगा।"बिड़ला ने कहा, "दरों में कटौती करने से कारोबारी माहौल बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।"

भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आरबीआई का फैसला बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है। बनर्जी ने कहा, "हालांकि ऐसे वक्त जब विकास की गति कमजोर है और थोक महंगाई दर में पिछले नौ महीने से गिरावट देखी जा रही है, आरबीआई को इस मौके का उपयोग कर दरों में कटौती करना चाहिए था, इससे मांग बढ़ती और निवेश बढ़ता।"

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