चार-चार गनरों के साथ सत्ता की धमक दिखा रहा कांग्रेस सचिव भूपेश उपाध्यायः फर्स्वाण
- आपदा प्रभावितों को बंटने वाले कम्बल जिला पंचायत चुनाव जितने का बने जरिया
देहरादून, 8 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट जहां अवैध रूप से गाड़ियों में लगी लालबत्ती और हूटर पर सख्त है, वहीं प्रदेश में सत्ता की धमक दिखाने के लिए कांग्रेस का एक प्रदेश सचिव एक नहीं चार-चार नगरों से पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी धमक दिखाते नजर आ रहे हैं। उनकी यह धमक जिला पंचायत चुनाव को लेकर बताई जा रही हैं इतना ही नहीं यह भी जानकारी सामने आई है कि प्रदेश सचिव द्वारा आपदा प्रभावितों के लिए बांटे जाने वाले कम्बल जिला पंचायत चुनाव क्षेत्र में वोटरों को रिझाने के लिए बांटे जा रहे हैं। गौरतलब हो कि प्रदेश में गनर के सहारे अपना राजनैतिक स्टेट्स मेंटेन करने की परिपाटी काफी समय से चली आ रही है, लेकिन उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार के बाद यह परिपाटी तेजी से आगे बढ़ती हुई नजर आई हैं प्रदेश में कई छोटे नेता जिन्हैं सुरक्षा की दृष्टि से एक भी गनर उपलब्ध नहीं होना चाहिए, वह सत्ता की धमक के आगे एक दो नहीं चार-चार गनरों को लेकर अपना राजनैतिक स्टेट्स मेंटेन करते हुए नजर आ रहे हैं। उत्तराखण्ड में कपकोट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक ललित फर्स्वाण ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश सचिव का मामला उठाते हुए प्रदेश के डीजीपी को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड में कांग्रेस के प्रदेश सचिव भूपेश उपाध्याय को सुरक्षा हेतु गनर दिए जाने का सवाल उठाया हैं साथ ही कहा है कि प्रदेश में जब पुलिस के जवानों की भारी कमी मौजूद है, तो ऐसे में भूपेश को किस विशिष्ट श्रेणी के अंतर्गत गनर उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं बागेश्वर जनपद से भी दिसम्बर माह में दो पुलिसकर्मियों की तैनाती भूपेश उपाध्याय की सुरक्षा में किए जाने की बातें सामने आई थी, लेकिन इस खबर को पुष्ट करने के लिए बागेश्वर के एसपी आनंद शंकर ताकवाले से जब सम्पर्क करना चाहा तो उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया। इसके साथ ही प्रदेश के अंदर कई कांग्रेसी नेता नियम कानूनों को ताक पर रखकर अपने साथ गनर रखते हुए अपना राजनैतिक स्टेट्स मेंटेन करते नजर आ रहे हैं, जबकि सुरक्षा की दृष्टि से उन्हैं गनर उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश सचिव भूपेश उपाध्याय बागेश्वर सीट से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं और चर्चाओं के अनुसार प्रदेश सचिव द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बंटने वाले कम्बल वर्तमान में बागेश्वर के उस क्षेत्र में बांटे जा रहे हैं, जहां से पंचायत चुनाव के लिए भूपेश उपाध्याय जोर आजमाईश में लगे हैं। उत्तराखण्ड के लिए इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि एक तरफ तो प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोग कड़ाके की ठंड में सरकार से आशियानों के साथ-साथ गर्म कपड़ों की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन कम्बलों को बागेश्वर के क्षेत्रों में राजनैतिक लाभ लेने के लिए वितरित किया जा रहा हैं सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि आपदा के दौरान देश-विदेश से राज्य के आपदा प्रभावितों के लिए भेजे गए हजारों कम्बल इसी तरह कांग्रेस के कई नेताओं के गोदामों की शोभा बढ़ा रहे हैं और ये कम्बल तब बाहर आएंगे, जब कोई चुनाव होगा। वहीं यह भी खबर है कि जिला पंचायत अल्मोड़ा की सीट वर्ष 2003 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान महिला अनुसूचित जाति की थी, जो वर्ष 2008 के हुए चुनाव में सामान्य पुरूष हो गई थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा किए गए परिसीमन पर यह सीट वर्तमान में महिला सामान्य होनी चाहिए थी, लेकिन इस सीट पर एक राजनेता को फायदा पहुंचाने के लिए इस सीट का रोस्टर सामान्य पुरूष रखा गया, जिससे उक्त राजनेता क्षेत्र में अपनी राजनैतिक जमीन तैयार कर सके। वहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि कांग्रेसी नेता द्वारा क्षेत्र में खरीदी गई जमीन भी चर्चा का केंद्र बिंदु बनी हुई हैं
राका की फाइल राहुल के दरबार में, बहुगुणा पर संकट बरकरार
- पंचायत चुनाव से पहले बहुगुणा को करना होगा विवादित अधिकारी को दरकिनार
देहरादून, 8 जनवरी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में जहां उत्तराखण्ड शासन सारंगी के इशारों पर नाचा करता था, वहीं मुख्यमंत्री बहुगुणा की सरकार में सारंगी का पर्याय बन चुके राका की धुन पर अब प्रदेश सरकार नाच रही है, लेकिन इसके धुन पर थिरकने वाले लोगों की जमात कोई लम्बी नहीं है, ऐसे लोगों ने राका के अब तक के काले कारनामों की फाईल राहुल दरबार की ओर सरका दी है। अब यह देखना है कि राहुल भी इसकी धुन पर नाचंते हैं अथवा नहीं यह बात राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। गौरतलब हो कि उत्तराखण्ड की सरकार को चलाने के लिए अधिकारियों रूपी सारंगी की कृपा हर सरकार में लगातार जारी है। भाजपा सरकार के शासनकाल में सारंगी की धुन पर प्रदेष के आला नेता जहां नाचा करते थे वहीं सारंगी के बिना शासन के अंदर कोई भी काम नही हो पाता था। खंडूरी के शासनकाल में सारंगी द्वारा किए गए कारनामे जहां भाजपा कार्यकर्ताओ को सरकार से दूर करते चले गए जिसका कारण रहा कि खंडूरी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से अलविदा हाईकमान द्वारा कर दिया गया लेकिन खंडूरी के बाद मुख्यमंत्री बने निषंक के शासनकाल में सारंगी का नाम बदलकर यह नाम राका के नाम से फेमस हो गया। निषंक शासनकाल में राका के इषारे पर कई कारनामांे को अंजाम दिया गया जब तक निषंक कुछ समझ पाते तब तक काफी देर हो चुकी थी। भाजपा हाईकमान राका के कारनामों से इतनी आजिज आ चुकी थी कि उसने भाजपा कार्यकर्ताओं को ही सरकार से दूर कर दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद उत्तराखण्ड में विजय बहुगुणा विरोध के बाद कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री के रूप विराजमान हुए और बहुगुणा के शासनकाल में एक चर्चित अधिकारी जिसे शासन से लेकर प्रषासन तक राका के नाम से जाना जाता है के इषारे पर उत्तराखण्ड की सरकार चलनी शुरू हो गई। राका के कारनामो की लिस्ट इतनी लम्बी होती चली गई कि वर्तमान मुख्यमंत्री आम जनता के साथ साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताआंे से भी दूरी बनाते चले गए। यह दूरी उसी राका के इषारे पर अंजाम दी गई जो पूर्व में अंजाम दी जाती रही है। उत्तराखण्ड की सरकार में इस विवादित अधिकारी का नाम कई घोटालो में सामने आने के बाद भी अभी तक सरकार के मुख्यमंत्री यह समझने में नाकाम साबित हुए हैं कि अब तक लिए गए फैसले जनता के बजाए इसी अधिकारी के इषारो पर परदे के पीछे से खेले गए हैं। राका का खौफ उन ईमानदार अधिकारियो पर भी लगातार बरकरार बना हुआ है जो प्रदेष के हित में विकास की योजनाओ को आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन इस विवादित अधिकारी पर सरकार की कृपा के चलते कोई भी ईमानदार अधिकारी अपना विरोध दर्ज नही कराना चाहता। यदि कोई विरोध दर्ज कराने की कोषिष करता है तो उसे षडयंत्र के तहत किनारे करने का खेल खेल दिया जाता है। उत्तराखण्ड में आगामी पंचायत चुनाव सरकार की परफोर्मंस साबित करेगंे वहीं यह चुनाव आगामी 2014 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाईनल के रूप में भी माना जा रहा है, इससे यह पता चलेगा कि सरकार की जनता में कितनी पैठ है। वहीं खबर है कि उत्तराखण्ड के विवादित अधिकारी राका की भूमिका को प्रदेष के मुख्यमंत्री समझ पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं और जनता से दूर जाते हुए नजर आ रहे हैं यही कारण है कि देहरादून से लेकर दिल्ली तक सरकार की छवि जनता के बीच नाकारात्मक नजर रही है और जनता का मुखिया होने के कारण मुख्यमंत्री भी जनता के मुख्यमंत्री ना होकर सिर्फ राका तक सीमित होकर रह गए हैं। उत्तराखण्ड को सैरगाह बनाने वाले आधा दर्जन से अधिक अधिकारी डेपोटेषन पर अपना कार्यकाल पूरा चुके हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें उत्तराखण्ड से उनके मूल राज्यो में नहीं भेजा जा सका हैं इसके पीछे भी विवादित अधिकारी राका की कृपा बनी हुई है। माना जा रहा है उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यदि इस विवादित अधिकारी से दूरी बनानी नहीं शुरू की तो आने वाले दिनो में कोई भी चुनाव कांग्रेस जीतती हुई नजर नही आ रही है और वही हाल प्रदेष के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का होगा जो भाजपा के शासनकाल में खंडूरी व निषंक को दरकिनार कर भाजपा हाईकमान द्वारा किया गया था। राजनैतिक विष्लेषक मानते हैं कि सरकार वर्तमान में विवादित राका के इषारो पर नाचती हुई नजर आ रही है और खुद के विवेक के बजाए ऐसे अधिकारी के विवेक से संचालित हो रही है जो कभी भी राज्य के हित में कोई काम नहीं कर सका हैं। वहीं अब राका की कई विवादित फाइलें राहुल के दरबार में दस्तक दे चुकी हैं और जल्द ही कांग्रेस हाईकमान उत्तराखण्ड में राका रूपी इस अधिकारी को ठिकाने लगाने की रणनीति में जुट गया हैं।
देहरादून एक्सप्रेस में लगी आग, 9 की मौत
ठाणे/देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। मंगलवार रात बांद्रा टर्मिनस से करीब साढ़े ग्यारह बजे देहरादून को रवाना हुई देहरादून एक्सप्रेस में आग लगने से नौ लोगों की मौत हो गई हैं मिली जानकारी के अनुसार यह हादसा बुधवार तड़के सुबहर तीन बजे मुंबई से करीब 170 किलोमीटर दूर दहाणू और घोलवाड़ स्टेशन के बीच हुआ, वहीं इस हादसे के लिए रेलवे प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताया जा रहा हैं प्राप्त जानकारी के अनुसार ट्रेन संख्या 19019 की स्लीपर बोगी एस टू, एस थ्री और एस फोर में आग थी। आग पर करीब दो घंटे बाद ही काबू पा लिया गया। ये ट्रेन बांद्रा टर्मिनस से रात करीब साढ़े ग्यारह बजे रवाना हुई थी और देहरादून जा रही थी। हादसे की वजह से इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा हैं ट्रेन की बोगियों में आग कैसे लगी, इसकी वजह अभी साफ नहीं हो पाई हैं वहीं वेस्टर्न रेलवे के पीआरओ के मुताबिक यात्रियों की मौत दम घुटने की वजह से हुई। रेल अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक एस फोर बोगी में मौजूद एक यात्री ने बताया कि आग एस थ्री कोच के पीछे वाले हिस्से में लगी थी और बाद में ये एस टू और एस फोर कोच तक फैल गई। सर्दी होने की वजह से यात्रियों ने खिड़कियां बंद कर रखी थीं। जिसकी वजह से 6 यात्रियों की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई। जब ट्रेन दहाणू और घोलवाड स्टेशन के बीच में थी तभी एक गेटमैन ने ट्रेन के गार्ड को आग के बारे में जानकारी दी। मरने वालों में दो लोगों की पहचान दीपिका शाह और देवशंकर उपाध्याय के रूप में हुई हैं वहीं चश्मदीदों की मानें तो ट्रेन हादसे में होने वाली मौत के लिए रेलवे प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार हैं कहा जा रहा है कि देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन में दहानु स्टेशन से पहले ही आग लगने की खबर मिल गई थी। इस खबर के मिलने के बाद ट्रेन को गोरेगांव स्टेशन पर रोक दिया गया। लेकिन इसके बाद आग की पूरी तरह से तहकीकात करने के बजाय इसे मामूली बता दिया गया और ट्रेन को रवाना कर दिया गया। अगर शिकायत मिलते ही आग की ठीक से जांच-पड़ताल की गई होती तो इतने बड़े हादसे को टाला जा सकता था। साफ है कि रेलवे प्रशासन की समें बड़ी लापरवाही थी। रेल मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे ने मुंबई-देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन में आग हादसे में लोगों की मौत पर आज दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रूपए का अनुदान देने की घोषणा की। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरूणेंद्र कुमार ने कहा, रेल मंत्री ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और इस दुर्भाग्यूपर्ण घटना में मरने वाले लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रूपये तथा गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रूपए का अनुदान देने की घोषणा की हैं मामूली रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। वहीं पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी शरतचंद्र ने कहा कि 9 मृतकों में एक महिला और 4 पुरूष हैं। बाकी लोगों की पहचान होनी अभी बाकी हैं पुलिस ने बताया कि चार लोग मामूली रूप से घायल हुए हैं। चंद्र ने कहा कि आग एक डिब्बे में सुबह लगभग 2 बजकर 50 मिनट पर लगी और जल्द ही यह दो अन्य डिब्बों में फैल गई। उस समय यात्री सोए हुए थे। आग लगने की वजह का पता अभी नहीं चल सका हैं
देहरादून जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की स्थिति घोषित
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। मंगलवार देर रात देहरादून जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की स्थिति घोषित कर दी गई। जिसमें महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। आठ और नौ जनवरी को आरक्षण के प्रस्तावों पर आपत्तियां दर्ज की जाएंगी। वहीं आपत्तियों का निस्तारण 10 और 11 जनवरी को किया जाएगा। 13 जनवरी को आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। जिले में 460 ग्राम पंचायतों, 43 जिला पंचायत सदस्यों एवं 240 क्षेत्र पंचायतों सीटों पर चुनाव होने हैं। जहां ब्लॉक चकराता व कालसी को अनारक्षित रखा गया है तो वहीं विकासनगर - अनुसूचित जाति महिला, सहसपुर - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, रायपुर - अनारक्षित, डोईवाला - अनुसूचित जनजाति महिला, क्षेत्र का नाम - श्रेणी, किस्तुड - अनुसूचित जनजाति महिला, बायला - अनुसूचित जनजाति महिला, आरा - अनुसूचित जनजाति महिला, बनाड बास्तिल - अनुसूचित जनजाति, अंबाड़ी - अनुसूचित जनजाति, मलेथा - अनुसूचित जाति महिला, मंगरौली - अनुसूचित जाति महिला, कचटा - अनुसूचित जाति महिला, मैरावना - अनुसूचित जाति, उदपाल्टा - अनुसूचित जाति, सुद्धोवाला - अनुसूचित जाति, फतेहपुर - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, जोहड़ी - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, मारखमग्रांट द्वितीय - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, शाहपुर कल्याणपुर - अन्य पिछड़ा वर्ग, शंकरपुर - अन्य पिछड़ा वर्ग, डैशवाला - अन्य पिछड़ा वर्ग, बकराल गांव - महिला, चंद्रबनी - महिला, डांडा लखौंड - महिला, नत्थनपुर द्वितीय - महिला, बडासीग्रांट - महिला, चकतुनवाला - महिला, माजरी माफी - महिला, रानीपोखरी ग्रांट - महिला, रायवाला - महिला, ऋषिकेश पंचम - महिला, ऋषिकेश चतुर्थ - महिला, सेवलाकला - महिला, रसूलपुर - महिला, जामनखाता - अनारक्षित, शेरपुर - अनारक्षित, सेंट्रल होपटाउन - अनारक्षित, लक्ष्मीपुर - अनारक्षित, भुडडी - अनारक्षित, लाडपुर - अनारक्षित, सुदंरवाला - अनारक्षित, भारुवाला ग्रांट - अनारक्षित, अठूरवाला - अनारक्षित, श्यामपुर - अनारक्षित, पुनाड पोखरी - अनारक्षित, व्यासनहरी - अनारक्षित, केदारावाला - अनारक्षित श्रेणी में रखा गया हैं
पल्लेदार की हत्या
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। पल्लेदार ने पल्लेदार की शराब के नशे में ईट मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेज हत्यारोपी की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस द्वारा प्र्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार प्र्रातः पटेलनगर कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि निरंजनपुर मण्डी में एक व्यक्ति का शव पडा हुआ है। सूचना मिलते ही बाजार चौकी प्र्रभारी नरेन्द्र्र ठाकुर मौके पर पहुंचे। आसपास के लोगों ने बताया कि मृतक का नाम दिनेश बिजनौरी है। उन्होंने बताया कि मृतक मण्डी में पल्लेदारी का काम करता था। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि गत दिवस दिनेश का अपने साथी पल्लेदार रामअवतार पुत्र छोटे लाल निवासी तहसील तिलक जनपद शाहजहां पुर के साथ शराब पीकर विवाद हो गया था तथा रामअवतार ने दिनेश के सिर पर ईंट से हमला कर घायल कर दिया था। उन्होंने पुलिस को बताया कि ईट लगने के बाद दिनेश नशें में वही घुमता रहा था तथा मण्डी में ही सो गया था। प्र्रातः लोंगो ने जब उसका उठाने का प्र्रयास किया तो वह उन्हें मरा मिला था। चौकी प्र्रभारी नरेन्द्र्र ठाकुर ने बताया कि ईट लगने से दिनेश के सिर में खून जम गया था जिससे उसकी मौत हो गयी। पुलिस के अनुसार मृतक पूर्व में रेलवे स्टेशन पर जेब काटने का काम करता था तथा कई बार जेल भी जा चुका है। पुलिस ने शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेज रामअवतार की तलाश शुरू कर दी है।
महिलाओं को आत्म सुरक्षा के गुर सियाये
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। बुधवार को पुलिस लाईन में महिलाओं को आत्म सुरक्षा के गुर सिखाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। आज पहले दिन छात्राओं को जूडो-कराटे का प्रशिक्षण दिया गया। मनचलों से बचाव के लिए उन्हें स्प्रे पेपर भी बांटे गये। पुलिस लाईन के सभागर में इस जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें तीन सौ से अधिक छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक केवल खुराना, पुलिस अधीक्षक नवेदिता कुकरेती तथा महिला संरक्षण अधिकारी रविन्द्री मंदरवाल मौजूद थे। छात्राओं को फायरिंग प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही उन्हें जूड़ो कराटे व योगा का प्रशिक्षण भी दिया गया। उन्हें साईबर क्राईम के बारे में भी जानकारी दी गयी। दोपहर बाद इन छात्राओं को विभिन्न थानों की कार्यप्रणाली से अवगत कराने और थाने-चौकियो में जाने की हिचक को दूर करने के लिए थानों का भ्रमण भी कराया गया। एसएसपी ने बताया कि यह जागरूकता अभियान 12 जनवरी तक चलेगा। 12 जनवरी को जागरूकता रैली निकाली जायेगी। इस दौरान उनसे आईएएस व आईपीएस महिला अधिकारी भी अपने अनुभव शेयर करेंगी।
सरकार के खिलाफ लामबंद्ध हुए व्यापारी
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। सत्रह साल पहले समाप्त कर दिये गये कानून को फिर से लागू करने से बिफरे व्यापारी सड़कों पर उतर आये। बुधवार को घण्टाघर पर व्यापारियों ने सरकार का पुतला फूंक कर आक्रोश जताया। व्यापारियों ने इस कानून को शीघ्र समाप्त न करने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मण्डल उत्तराखण्ड के बैनरतले सभी व्यापारी एमडीडीए कॉम्पलैक्स में एकत्र हुए जहां से उन्होंने सरकार के पुतले के साथ घण्टाघर तक रैली निकाली। घण्टाघर चौराहे पर सरकार का पुतला फूंकने के बाद व्यापारियों ने जिला मुख्यालय का रूख किया और जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। संगठन के अध्यक्ष अनिल गोयल का कहना था कि सरकार द्वारा व्यापारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उत्तराखण्ड अनुसूचित वस्तु व्यापारी आदेश को लागू कर सरकार व्यापारियों को समाप्त करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह कानून वर्ष 1955 में लागू किया गया था जो 17 वर्ष पहले समाप्त हो चुका है लेकिन सरकार फिर से इस कानून को व्यापारियों पर थोपना चाहती है। उनका कहना था कि अब इस कानून का कोई औचित्य नहीं है। यहां पर भण्डारण की कोई व्यवस्था ही नहीं है यह कानून उत्तराखण्ड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति जैसे राज्य के अनुकूल नहीं है। यहां पिछले 50 वर्षों में न तो कोई जमाखोर है और न ही जमाखोरी का कोई मामला प्रकाश में आया है। आज जब देश खाद्य पदार्थों की दृष्टि से आत्मनिर्भर हो चुका है तो इस कानून का कोई औचित्य ही नहीं है। व्यापारियों का कहना था कि स्टाक सीमा प्रतिबंध लागू होने से प्रदेश का खुदरा व्यापारी मात्र 10 कंुतल तक ही स्टाक कर पायेगा जबकि कुमाउं व गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में सप्लाई करने वाले नगरों के व्यापारियों को बारिश, सर्दी व आपदा की स्थिति में अविलम्ब पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्यान्न की आपूर्ति करनी होती है ऐसे में यह कानून पहाड़ी क्षेत्रों में खाद्यान्न संकट खड़ा कर देगा। इस कानून के लागू होते ही उत्तराखण्ड के तराई क्षेत्रों में धान व दालों का व्यापार करने वाले व्यापारी भी व्यापार नहीं कर पायेंगे। उनका कहना था कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा राज्य के व्यापारियों पर स्टाक भण्डारण की लिमिट तय करते हुए खाद्य विभाग के अधिकारियों को व्यापारिक स्थलों पर छापे की कार्यवाही, व्यापारी की अनुपस्थिति के दौरान उसके प्रतिष्ठान के ताले तोड़ कर तलाशी व जेल तक का प्रावधान रखा गया है जो किसी भी तरह से व्यापारियों के हित में नहीं है और वे इसका पुरजोर विरोध करते हैं।
व्यापारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश में खाद्यान्न की कमी, महंगाई, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के अलावा हर वक्त व्यापारी पर जेल व उत्पीड़न की तलवार लटकी रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस कानून अविलम्ब समाप्त न किया गया तो वे सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। प्रदर्शनकारियों में प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोयल, कार्यकारी अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र प्रभाकर, महानगर अध्यक्ष विपिन नागलिया, महानगर महामंत्री अमरजीत सिंह आनंद, अखिल भाटिया, अनुज जैन तथा मीत अग्रवाल आदि शामिल थे।
ग्रीन दून, क्लीन दून मूवमेंट के तहत जनांदोलन किया जाएगा: नेगी
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। भाजपा पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी दिगम्बर सिंह नेगी ने कहा विजन और प्लानिंग का एमडीडीए के नये मास्टर प्लान में अभाव है। संशोधन के नाम पर अपरिभाषित क्षेत्र के नाम से लीपापोती की गयी। उन्होंने कहा कि ग्रीन दून, क्लीन दून मूवमेंट के तहत लोगों के सहयोग से जनांदोलन किया जाएगा। बुधवार को त्यागी रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए भाजपा पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी दिगम्बर सिंह नेगी ने कहा कि एमडीडीए मास्टर प्लान में देहरादून के प्राकृतिक सौन्दर्य व पर्यावरण संरक्षण कर समाज के सभी वर्गो की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विजय और प्लानिंग का अभाव है। मास्टर प्लान 2005 में जारी होना था लेकिन 2013 में जारी हो रहा है। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान के संशोधन के नाम पर प्लान में अपरिभाषित क्षेत्र के नाम से लीपापोती की गयी है। एमडीडीए का प्लान स्पष्ट व वर्गीकृत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि देहरादून नगर निगम में 79 और ग्रामीण क्षेत्र में 39 अधिकृत मलिन बस्तियां है। इन बस्तियों को मास्टर प्लान में नहीं दर्शाया गया है। साथ ही मलिन बस्तियों के पुनर्वास की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थल लक्ष्मणसिद्ध को पर्यटन स्थल दर्शाना होटल बनाने का षडयंत्र है। एमडीडीए लोगों की सुनवाई कर दो माह में मास्टर प्लान की विसंगतियों को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रीन दून क्लीन दून मूवमेंट के चलते मंदिरों, गुरूद्वारों, मस्जिदों, चर्चो, शैक्षणिक संस्थाओं, ग्राम पंचायतों, नगर निगम के वार्डो में जन सहयोग से आंदोलन किया जाएगा। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर संकल्प दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में निवास करने वाले किसानों की आवश्यकताओं की पूर्ति की कोई योजना नहीं है। मास्टर प्लान में दर्शायी गयी योजनाओं को साकार करने के लिए बजट का भी निर्धारण नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि देहरादून में इनफ्राइस्टक्चर विकसित करने व सेवा प्रदान करने वाली सरकारी संस्थाओं नगर निगम, जल निगम, जल संस्थान, लोनिवि, आरटीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जेएनएनयूआरएम, जिला पंचायत, उर्जा निगम आदि से समन्वय का स्पष्ट अभाव दिखायी दे रहा है। इस अवसर पर भाजपा सह मीडिया प्रभारी अभिमन्यु कुमार, प्रदेश संयोजक शिक्षा प्रकोष्ठ श्रीमती इन्दूबाला, श्रीमती शोभना स्वामी, ग्राम प्रधान लाडपुर कपिल बोहरा आदि मौजूद थे।
मंडी कार्यालय पर गरजे भाजपा कार्यकर्ता
देहरादून, 8 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। सरकार द्वारा फल व सब्जियों से मंडी शुल्क हटाने के बावजूद इनकी आसमान छूती कीमतों को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंडी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नाम एक ज्ञापन मंडी सचिव के माध्यम से प्रेषित किया। बुधवार को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश सुमन ध्यानी के नेतृत्व में धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता एवं किसानों ने निरंजनपुर स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति के कार्यालय पहंुचकर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि सब्जियों के दाम मंडी से बाहर निकलने से पहले ही आढत और अन्य शुल्क के कारण 13.25 प्रतिशत जाते है। मंडी शुल्क समाप्त होने के बाद भी न तो किसानों को लाभ हो रहा है और न ही उपभोक्ताओं को सस्ती सब्जियां मिल रही है। उन्होंने कहा कि मंडी में पफल एवं सब्जी उत्पादकों से 6.25 प्रतिशत आढत ली जा रही है। जबकि मंडी एक्ट के प्रावधन के अनुसार किसान से कोई आढत नहीं ली जा सकती। आढत के कारण किसानों को दिक्कतें हो रही है और सब्जियां महंगी हो रही है। उन्होंने किसान से आढत न लेने, फल एवं सब्जियों को उपभोक्ताओं तक सस्ते दामों में पहंुचाने की मांग की। इस अवसर पर विष्णु सुन्दरियाल, चरना सिंह कंडारी, मुकुण राणा, संतराम, मुन्नालाल वर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, दीप गुप्ता, मनोज चतुर्वेदी, जमशेद अली, सुकई प्रसाद, सत्यप्रकाश, जगदीश, छोटेलाल, सोनू वर्मा, राकेश, संजीव, जयकरन आदि शामिल थे।