शक्ति कि पूजा पूजयनीय है। इसी कारण आम ब्यक्ति शक्ति रखने बाले का साथ होता है। शक्ति को सशक्त बनाने में सर्व प्रथम मातृ शक्ति को ही सर्वोपरि मानव जीवन में स्थान दिया गया है। सही भी है। दुर्गा शक्ति कि आराधना हर छः माह में करने का हिन्दू धर्म में अनेक कारण भी हो सकते है। मेरी बुध्दि ,विवेक ,ज्ञान व अनुभव को एक साथ जोड़ने पर उसका हल यही हो सकता है। कि पुरुष प्रधान देश भारत कहा जाता था , लेकिन अब परिस्थिया बदल गई और इतिहास ,धार्मिक ग्रंथो ,उपमाओं , ब्यबहारिक जीबन एबं नैतिक शिक्षा ,मान -सम्मान सभी स्थानो पर महिलाओ को पहिला स्थान है।
इसी कारण शक्ति पूजा का सर्वोपरि स्थान है। तुलसी दास जी ने अपना काव्य ग्रन्थ श्री राम चरित मानस लिखा , वह उन्होंने किसी के लिए नहीं लिखा, उन्होंने बन्दना में स्पष्ट कर दिया कि यह ग्रन्थ हम अपने मन व आत्मा कि शांति के सुख के लिए है। इसके बाद उन्होंने मानव जीवन के समस्त पहलुओ को छू कर सन्देश
दिया। अंत में उत्तर काण्ड के आखरी दोहे में ब्यक्ति के जीबन का निचोड़ कर दिया। उन्होंने काम बासना व लोभ को जीवन में सर्बोपरि स्थान दिया। क्या यही उदाहरण थे। जी बिलकुल सही थे ?? आप हम आप या संसार का कोई भी जींब क्या काम बासना के बिना रह सकता है तो नहीं। क्यों कि काम मन ,विचार ,आत्मा ,चिंतन में आने के बाद ही तन कि इन्द्रियो को जगाता है। इसी प्रकार लोभ है।
हमारा कहने का मतलब आज पूजा आराधना के साथ साथ हम आप को मन ,विचार से साधना को साधने कि आवश्यक्ता है। नारी शक्ति के सामने सभी नतमस्तक है , शक्ति के गुलाम है। इसी कारण हम उसकी पूजा ,आराधना ,उपासना ,विनय तरह तरह से करते है। संसार के सुखो में काम सुख प्रमुख स्थान पर है.............. ??????? - शक्ति आराधना ही मानव जीवन कि साधना है
---संतोष गंगेले---
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