प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश की मौजूदा कारोबारी साल में विकास दर पिछले कारोबारी वर्ष की भांति पांच फीसदी रह सकती है। उन्होंने साथ ही कहा कि देश की वर्तमान और भविष्य की आर्थिक स्थिति पर चिंता करने की जरूरत नहीं है। 12वें प्रवासी भारतीय दिवस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "2004 के बाद नौ सालों में हमने औसत 7.9 फीसदी विकास दर हासिल की।" उन्होंने कहा, "बेशक हाल में विकास दर घटी है और संभवत: इस साल भी विकास दर पिछले साल की तरह पांच फीसदी रह सकती है।" सिंह ने कहा कि कई घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पहलुओं के कारण ऐसी स्थिति हुई है।
उन्होंने कहा, "इन चुनौतियों के बाद भी हमारी आर्थिक बुनियाद मजबूत है। हमारी बचत और निवेश दर अब भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 30 फीसदी है।"उन्होंने अनिवासी भारतीयों से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के बारे में कई सवालों और सामाजिक चुनौतियों की चिंता के बाद भी वे आशान्वित रहें। सिंह ने कह, "बाहर यह धारणा बनी है कि पिछले एक दशक में हासिल देश की विकास दर थोड़ी घटी है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से इसे और बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, जिसकी आवाज चुनावी वर्ष में और बढ़ जाती है।"
उन्होंने कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि वर्तमान और भविष्य के बारे में चिंता करने का कोई कारण नहीं है।"उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि राजनीतिक समर्थन के अभाव में कई वित्तीय और बीमा सुधार के कदम नहीं उठाए जा सके, लेकिन जो भी कदम उठाए गए हैं, उनके परिणाम आने लगे हैं और भारत फिर से आकर्षक निवेश स्थल के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में इसका प्रमाण मिल जाएगा।
शिक्षा क्षेत्र में हुई तरक्की पर उन्होंने कहा कि देश में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या 17 से बढ़कर 44 हो गई है और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा भारतीय प्रबंधन संस्थानों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है।