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हिमाचल : व्यापारियों ने वित्तीय सुविधाओं के लिए छेड़ा अभियान

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himachal market
(विजयेन्दर शर्मा) व्यापारियों ने वित्तीय सुविधाओं के लिए छेड़ा अभियान - बैंक व्यापारियों को क़र्ज़ देने में असफल कोआपरेटिव बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियों के ढांचे को मजबूत करने की मांगवर्तमान चुनाव के गहमा गहमी के बीच देश भर के व्यापारी अगली सरकार के लिए अपना आर्थिक एजेंडा तैयार करने में जूट हुए हैं और रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई को कतई लागू न कएने की मांग के बाद अब व्यापारियों ने होने किये पृथक रूप अपने व्यापार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए समानांतर वित्तीय ढांचे को बनाये जाने मी मांग की है !इस मुद्दे को लेकर गत 2 अप्रैल को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का प्रतिनिधिमंडल रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक श्रीमती दीपाली पंत जोशी से मुम्बई स्तिथ रिज़र्व बैंक मुख्यालय में मिला और एक विस्तृत ज्ञापन देते हुए देश में छोटे व्यापारियों के लिए कोआपरेटिव बैंक के ढांचे और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनीज के ढांचे को मजबूत किये जाने की मांग की क्योंकि प्राय मूल रूप से यही दो वित्तीय संस्थान आम तौर पर छोटे व्यापारियों को क़र्ज़ उपलब्ध कराते हैं ! 

 प्रतिनिधिमंडल में कैट के राष्ट्रीय चेयरमैन श्री महेंद्र शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल एवं अन्य वरिष्ठ कैट नेता शामिल थे वहीँ श्रीमती पंत के साथ रिज़र्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक श्री उगाता, महाप्रबंधक श्री अजय मिश्रा एवं उप महाब्रंधक श्री अरिदमन कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे !श्रीमती दीपाली पंत जोशी को दिए ज्ञापन में कैट ने इस बात पर अफ़सोस व्यक्त किया की कोर बैंकिंग सेक्टर अब तक छोटे व्यापारियों को व्यापार हेतु क़र्ज़ उपलब्ध करने में बेहद नाकाम साबित हुआ है जिसके कारण से व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता है और उन्हें अपनी जरूरतों के लिए प्राइवेट मनी लेंडर या अन्य वर्गों पर निर्भर रहना पड़ता है और जिसके एवज में उन्हें ब्याज भी जयादा देना पड़ता है ! 

प्रतिनिधिमंडल ने इस सम्बन्ध में रिज़र्व बैंक के गवर्नर श्री रघुराम राजन द्वारा गठित डॉ.नचिकेत मोर कमैटी की हाल ही में सौंपी गयी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा की कमिटी ने इस बात को स्वीकार किया है की देश में 90 प्रतिशत छोटे व्यापारियों और कम आय वाले लोगों का बैंकों से कोई लिंक नहीं है और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 60 प्रतिशत छोटे व्यापारियों और कम आय वाले लोगों का कोई फंक्शनल बैंक अकाउंट भी नहीं है ! कमिटी ने सुझाव दिया है की इस सेक्टर के लिए "विशेष बैंक"बनाये जाएँ !

कैट प्रतिनिधिमंडल ने इस स्तिथि पर ध्यान दिलाते हुए कहा की इस सम्बन्ध में कोआपरेटिव बैंक और एन बी ऍफ़ सी जो मूल रूप से छोटे व्यापारियों को क़र्ज़ देते हैं के ढांचे को चुस्त दुरुस्त किया जाए और इनके लिए पृथक रूप से दिशा निर्देश बनें ! कैट ने कहा की नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनीज में ही एक पृथक केटेगरी स्माल बैंकिंग फाइनेंस कम्पनीस गठित की जाए जो केवल छोटे व्यापारियों को ही क़र्ज़ उपलब्ध कराये ! कैट ने यह भी कहा की इसके लिए इन कम्पनियों के वित्तीय ढांचे को मजबूत करने की भी जरूरत है और इस हेतु इनके लिए नॉन परफार्मिंग एसेट की मियाद 180 दिन ही रखी जाये ! इन वित्तीय संस्थानों की पूँजी बाध्यता में वृद्धि न की जाए वहीँ पूँजी एकत्र करने पर अंकुश न लगाया जाए ! हाल ही मैं इन कम्पनियों पर रिटेल डिबेंचर जारी करने पर लगाया गया प्रतिबन्ध समाप्त किया जाए वहीँ दूसरी और कोर बैंक इन कम्पनियों को प्राइवेट सेक्टर लेंडिंग रेट पर पूँजी उपलब्ध कराएं ! यदि इन कम्पनियों को मजबूत किया जाता है तो काफी बड़ी मात्रा में छोटे व्यापारियों के लिए पूँजी की मांग और पूर्ती के बीच के अंतर को ख़त्म किया जा सकता है !

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