पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और चुनाव आयोग की बीच टकराव का कोई हल नहीं निकला तो राज्य में लोकसभा का चुनाव रद्द भी हो सकता है। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार को अधिकारियों के तबादले के निर्देश का पालन करने के लिए लिए 24 घंटे का नोटिस दिया गया है। ममता के रुख पर चुनाव आयोग ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए उन्हें दोपहर ढाई बजे तक का वक्त दिया है।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने 5 एसपी, एक डीएम और दो एडीएम के तबादले के चुनाव आयोग के निर्देश को मानने से इनकार कर दिया है। ममता ने आयोग को खुली चुनौती देते हुए कहा कि मेरे रहते हुए चुनाव आयोग किसी को हटाकर दिखाए। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है, 'हम अधिकारियों के तबादले के निर्देश का पालन होने का इंतजार करेंगे। अगर अधिकारी नहीं हटाए जाते हैं तो चुनाव रद्द किए जा सकते हैं।'
मुख्यमंत्री ने भले ही अधिकारियों के तबादले के चुनाव आयोग के निर्देश को न मानने की घोषणा की हो, लेकिन उनके सामने इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के बयान पर कुछ भी नहीं कहेंगे। उन्होंने कहा, 'कानून के तहत चुनाव संबंधी अधिकारी चुनाव आयोग के तहत होते हैं। चुनाव की घोषणा के बाद ही रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स ऐक्ट की धारा 28(ए) के तहत राज्य सरकार ने नोटिस जारी किया था। इसके तहत पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी आयोग के तहत काम करते हैं।'
सुनील गुप्ता के मुताबिक, अधिकारियों के तबादला निर्देश से संबंधित पत्र सोमवार को दोपहर ढाई बजे के करीब राज्य के मुख्य सचिव को भेज दिया गया। गौरतलब है कि रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत के नेतृत्व में कोलकाता आई टीम ने अन्य दलों की शिकायत के बाद दिल्ली पहुंचने के 24 घंटे के भीतर बंगाल के 8 अधिकारियों के तबादले के आदेश जारी कर दिए। आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव संजय मित्रा और मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता को फैक्स कर आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कराने को कहा है।
तबादले के निर्देश से क्षुब्ध मुख्यमंत्री ने कहा, 'चुनाव आयोग राज्य सरकार से बिना बात किए अधिकारियों का स्थानांतरण और नए अधिकारियों की नियुक्ति कैसे कर सकता है? आप केवल कांग्रेस की सुनेंगे। कांग्रेस और बीजेपी को चुनाव जिताने के लिए आपको मेरा इस्तीफा लेना होगा, मैं किसी को भी नहीं हटाऊंगी।'उन्होंने चेतावनी दी कि अधिकारियों को जबरन हटाने के बाद यदि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी।