सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को नौ राज्यों में जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आरक्षण दिए जाने के केंद्र के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने राम सिंह और ओबीसी रिजर्वेशन रक्षा समिति की तरफ से दायर याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया भी मांगी है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन.वी.रमना की पीठ ने आदेश पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि यह बिना कोई राय जाहिर किए केंद्र सरकार को प्रतिक्रिया देने के निर्देश देती है।
वरिष्ठ वकील के.पारासरण के यह कहने पर कि आदेश की वजह रिकार्ड में दर्ज है, तब पीठ ने केंद्र के आदेश का आधार जानना चाहा। न्यायालय ने केंद्र से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है, जबकि याचिकाकर्ता को दोबारा पक्ष रखने के लिए चार दिन का समय दिया है। मामले पर अगली सुनवाई एक मई को होगी। याचिकाकर्ता के वकील के.के. वेणुगोपाल ने न्यायालय से कहा कि चुनावी आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले चार मार्च को अधिसूचना जारी की गई है और इसका लक्ष्य लोकसभा में वोट पाना है।