सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से जुड़े रिकॉर्ड बयानों की प्रति देने से इंकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक और न्यायमूर्ति जे एस खेहर की दो सदस्यीय खंडपीठ ने बीसीसीआई के वकील को कहा कि अदालत इस बात की समीक्षा करेगी कि बीसीसीआई को आडियो टेप की प्रति देने की जरूरत है या नहीं। आईपीएल भ्रष्टाचार मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होनी है। उसी दौरान अदालत इस मुद्दे पर भी कोई निर्णय सुना सकता है।
गौरतलब है कि बीसीसीआई के वकील ने न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से आग्रह किया था कि वह न्यायमूर्ति मुद्गल की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष धौनी और श्रीनिवासन की गवाही से संबंधित ऑडियो टेप की प्रति बोर्ड को उपलब्ध कराए जबकि क्रिकेट बोर्ड की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने बोर्ड से कहा था कि वह ऑडियो टेप हासिल करने के लिए उपयुक्त तरीके से न्यायालय से आग्रह करे। ये ऑडियो टेप फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के पास सीलबंद लिफाफे में जमा हैं।
दरअसल बीसीसीआई ने यह कदम उस विवाद के मद्देनजर उठाया जिसमें आरोप लगाया गया है कि धौनी और श्रीनिवासन ने आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स में गुरूनाथ मेयप्पन की भूमिका के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त मुद्गल समिति के समक्ष झूठ बोला था। बिहार क्रि केट एसोसिएशन के प्रमुख आदित्य वर्मा की ओर सेवरिठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी थी कि धौनी ने मेयप्पन के बारे में समिति से झूठ बोला था कि मेयप्पन का चेन्नई सुपर किंग्स से कोई लेना देना नहीं था। श्रीनिवासन के दामाद मेयप्पन महज क्रिकेट प्रेमी हैं।
हालांकि बीसीसीआई ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि धौनी ने मेयप्पन के बारे में समिति से कभी ऐसी बात नहीं कही थी। न्यायमूर्ति मुद्गल समिति ने मेयप्पन को आईपीएल 2013 में सट्टेबाजी का आरोपी बनाया है।