भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए कि उनके कार्यकाल ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक संस्था के रूप में कितना प्रभावित किया है।
जेटली ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, "मनमोहन सिंह गंभीरता से आत्मचिंतन करें कि उनके कार्यकाल ने प्रधानमंत्री नामक संस्था पर कितना असर डाला है। क्या सभी विषयों पर अंतिम निर्णय उनका होता है? या यह कम्युनिस्ट राज्यों जैसी व्यवस्था है, जहां पार्टी महासचिव शासनाध्यक्ष की तुलना में हमेशा अधिक महत्वपूर्ण होता है।"
जेटली ने कहा, "प्रधानमंत्री इस बात के लिए नहीं याद किए जाते कि वे कितने वर्ष पद पर रहे, बल्कि वे इस बात के लिए याद किए जाते हैं कि उन्होंने अपने पीछे कैसी विरासत छोड़ी है।"जेटली की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू द्वारा लिखी गई किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर'शुक्रवार को जारी की गई है। इस पुस्तक ने एक विवाद को जन्म दे दिया है।
जेटली ने लिखा है, "संजय बारू की किताब देश में सामान्य तौर पर जताई जा रही आशंका की पुष्टि भर करती है। प्रधानमंत्री को अपने अधिकांश निर्णयों पर कांग्रेस अध्यक्ष की स्वीकृति लेनी पड़ती है। संप्रग के कार्यकाल में जिन विभिन्न संस्थानों का कद घटा है, उनमें से सबसे प्रमुख प्रधानमंत्री कार्यालय था।"