भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को मनमोहन सिंह को 'अब तक का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री'करार देते हुए उनसे यह आत्मालोचन करने के लिए कहा है कि उनका कार्यकाल 'इस संस्थान (प्रधानमंत्री कार्यालय) को किस तरह प्रभावित किया।' मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की पुस्तक 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह'पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस पुस्तक ने उसी बात पर मुहर लगाई है जो लोग पहले से ही जानते हैं कि मनमोहन सिंह सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए हैं।
आडवाणी ने कहा है, "इस किताब ने अधिकृत रूप से उस बात की पुष्टि कर दी है जो हर कोई जानता है..जब मैंने यह कहा था कि मुझे लगता है कि वे (मनमोहन सिंह) अब तक सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए हैं तो मेरे साथियों ने कहा था कि वे एक अच्छे इंसान हैं, क्यों आप उनकी इतनी आलोचना करते हैं।"
राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, "मनमोहन सिंह गंभीरता से आत्मचिंतन करें कि उनके कार्यकाल ने प्रधानमंत्री नामक संस्था पर कितना असर डाला है। क्या सभी विषयों पर अंतिम निर्णय उनका होता है? या यह कम्युनिस्ट राज्यों जैसी व्यवस्था है, जहां पार्टी महासचिव शासनाध्यक्ष की तुलना में हमेशा अधिक महत्वपूर्ण होता है।"
जेटली ने कहा, "प्रधानमंत्री इस बात के लिए नहीं याद किए जाते कि वे कितने वर्ष पद पर रहे, बल्कि वे इस बात के लिए याद किए जाते हैं कि उन्होंने अपने पीछे कैसी विरासत छोड़ी है।"जेटली ने लिखा है, "संजय बारू की किताब देश में सामान्य तौर पर जताई जा रही आशंका की पुष्टि भर करती है। प्रधानमंत्री को अपने अधिकांश निर्णयों पर कांग्रेस अध्यक्ष की स्वीकृति लेनी पड़ती है। संप्रग के कार्यकाल में जिन विभिन्न संस्थानों का कद घटा है, उनमें से सबसे प्रमुख प्रधानमंत्री कार्यालय था।"
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कांग्रेस में स्थितियां 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टिर'और पार्टी के उपाध्यक्ष के बीच फंसी हुई है। राहुल जो प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी भी नहीं बनना चाहते हैं। प्रसाद ने पूछा, "राहुल गांधी कहते हैं कि वे आम आदमी को सबल बनाएंगे। वे ऐसा कैसे कर सकते जब उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को ही सबल नहीं बनाया।"