कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए यह बताने के लिए कहा है कि राज्य में 16 वर्ष की एक किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले की जांच सीबीआई को क्यों नहीं सौंपी जाए। अदालत ने ममता बनर्जी सरकार को पीड़िता के परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। परिवार ने इस मामले में भय व्यक्त किया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग करने वाली पीड़िता के परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने राज्य के महाधिवक्ता को सात दिनों में यह बताने के लिए कहा है कि मामले की सीबीआई से जांच का आदेश क्यों नहीं दिया जाए। याची के वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने कहा, "अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह मामले की सीबीआई जांच का आदेश क्यों नहीं दे। एक बार जब सरकार अपना जवाब सौंप देगी तब अदालत भावी कार्रवाई के बारे में फैसला लेगी।"
यह उल्लेख करते हुए कि मामले में राज्य की पुलिस ने उचित जांच नहीं की है, पीड़िता के परिवार ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए 6 जनवरी को याचिका दायर की। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी। मूल रूप से बिहार की रहने वाली पीड़िता के साथ एक गिरोह ने पश्चिम बंगाल के माध्यमनगर में अक्टूबर महीने में दो बार दुष्कर्म किया। गंभीर रूप से जली हुई अवस्था में 23 दिसंबर को उसे सरकारी आर. जी. कार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसने 31 दिसंबर को अंतिम सांसें ली।
इस मामले ने तब तूल पकड़ लिया जब परिवार ने यह आरोप लगाया कि पुलिस ने पीड़िता के शव का जबरन दाह संस्कार कराने की कोशिश की है। इतना ही नहीं पुलिस ने परिवार को राज्य से चले जाने के लिए धमकाया भी। मंगलवार को पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की।