भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अरुण जेटली ने शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इस कदर बोला कि सुनाई ही नहीं दिया। जेटली की चुटकी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुहैया कराई गई उस जानकारी पर थी जिसमें कहा गया है कि उन्होंने लगभग हर तीसरे दिन बोला है।जेटली ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि प्रधानमंत्री बोलने वाला होना चाहिए और ऐसा बोले कि उसकी बातें ध्यान से सुनी जाएं। जेटली ने कहा, "पीएमओ अपनी जगह ठीक है। आंकड़े के अनुसार, प्रधानमंत्री बोल रहे हैं, सच्चाई यह है कि वे सुने नहीं जा रहे हैं। यानी प्रधानमंत्री बर्फ पर चले, जिसके कारण उनका पदचिन्ह नहीं बचा।"
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी द्वारा शुक्रवार को मुहैया कराई गई जानकारी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि पीएमओ ने सोचा कि वह इस आरोप का जवाब दे कि मनमोहन सिंह बोलने वाले प्रधानमंत्री नहीं है। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के प्रमुख राजनीतिक अधिकारी हैं और वह मौन नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, "वह भारतीय लोकतंत्र का चेहरा हैं। उनकी राय से नीति आकार लेती है। वह नेतृत्व प्रदान करते हैं। लोग उनकी तरफ समाधान के लिए ताकते हैं। प्रधानमंत्री इतना मौन नहीं हो सकता। उन्हें हर हाल में जनता का विश्वास बढ़ाना होगा। समाधान देने के बारे में उन्हें आत्मविश्वासी दिखना होगा। सत्ताधारी गठबंधन का उन्हें एक शीर्ष जन नेता होना होगा। उन्हें नैतिक और राजनीतिक, दोनों प्राधिकारों पर नियंत्रण रखना होगा।"
जेटली ने कहा कि ऐसा नेता प्रधानमंत्री हो जिसे सुना जाए। "उसे ध्यान से सुना जाए। वह एक नेता हो, न कि सिर्फ एक पढ़ कर बोलने वाला।"अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भाषण लेखकों से भारत दौरे के दौरान अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि ओबामा के प्रत्येक भाषण एक विशेषज्ञ द्वारा तैयार किए गए थे, अधिकारियों के एक समूह द्वारा जांचे-परखे गए थे और खुद राष्ट्रपति द्वारा भी। ओबामा ने अपने अधिकांश भाषण एक टेलीप्रमोटर से पढ़े थे।
जेटली ने कहा, "हमें लगता था कि यह एक स्वाभाविक भाषण है। लेकिन राष्ट्रपति संसद के केंद्रीय कक्ष में भी दो टेलीप्रमोटरों से उसे पढ़ रहे थे। उनकी डिलीवरी और उच्चारण जोरदार था।"लेकिन यहां अपने प्रधानमंत्री इस कदर भाषण पढ़ते हैं कि लोगों को सुनाई ही नहीं देता।