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Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
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बिहार : मतलबी इंसान के चक्कर में मानव और जानवर

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live aaryaavart dot comगया। ये है पशु पालक भूलइया उर्फ मिथलेश यादव। गवई परिवेष के हैं। जरा गौर से भूलइया के हाथ में देखें। एक पांच सीसी के सूई पकड़े हुए हैं। आखिर पशु पालक के हाथ में पांच सीसी के सिरिंज क्यों है? अब आप समझ गए होंगे। अगर आप नहीं समझे हैं तो जान और समझ लें। मानव में लड़कियों से घृणा किया जाता है। लड़कों को प्यार और दुलार किया जाता है। इसे वंश प्रसार करने वाले माने जाते हैं। तो लड़कियों को दुत्कारा और फटकारा जाता है। इसका मतलब पुरूष और महिलाओं के बीच में असमानता की जाती है। उसी तरह पशु पालकों के द्वारा पशुओं के साथ व्यवहार किया जाता है। अगर गौ माता के गर्भ से बाछी (स्त्रीलिंग) पैदा हुई तो खुशी मनाया जाता है। अगर बाछा (पुलिंग) पैदा हुआ तो मातम मनाया जाता है। गौ माता के थन से बाछी को दूध पीने दिया जाता है। इसकी परवरिश पर अधिक ध्यान और तवज्जों दिया जाता है। बीमार पड़ने पर इलाज करवाया जाता है। इसे वंश प्रसार करने वाली और दूध देने वाली समझी जाती है। 

वहीं गौ माता के थन से बाछा को मुंह ही सटाया जाता है। इसके बाद बाछा को हटा दिया जाता है। यह रस्म अदायगी है जिससे आभास हो कि बाछा दूध पर रहा हैं। गौ माता इस स्नेह में पड़कर फेना जाती है। खुद को गौ माता दूध दूहने लायक बना देती है। इसके बाद पशु पालक दूध दूहने लगते हैं। मतलबी इंसान के चक्कर में मानव और जानवर भी पड़ जाते हैं। इसी दोरंगी नीति के शिकार मानव में बेटी और जानवर में बाछा हो रहे हैं। मानव में बेटी के संदर्भ में कहा जाता है कि आने वाले को आने नहीं देते और आ जाने वाले को जीने नहीं देते। इसी तरह जानवरों में भी किया जा रहा है। बाछा के संदर्भ में कहा जाता है कि हरहाल में मार देना ही है। दूध कम पीने दो और बीमारी होने पर दवा-दारू मत करो। इसी के कारण बाछा की अकाल मौत हो जाती है।  

इसके बाद पशु पालकों के द्वारा गौ माता को भरमाने के लिए मृत बाछा के चमड़े से खालका बनाते हैं। खालको को गौ माता के सामने पेश किया जाता है। अपना संतान समझकर गौ माता प्यार में खालका चाटने लगती है। इसी बीच गौ माता के थन में दूध उतर जाता है। इसके बाद दूध दूहना शुरू कर दिया जाता है। अभी भी इसे खालका चलन गांवघर में होता है। शहर में खालका का चलन बंद हो गया है। अब उसके बदले में सूई ले लिया है। 




आलोक कुमार
बिहार 

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