देहरादून, 4 मई । उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए रविवार सुबह साढ़े छह बजे भगवान केदारनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गए हैं. इससे पूर्व भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल-विग्रह उत्सव डोली शनिवार को गौरीकुंड से प्रस्थान करते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए केदारपुरी पहुंची.अब बाबा केदार पूरे छह महीने यहीं प्रवास करेंगे। पिछले वर्ष आपदा के बाद यह यात्रा रविवार को विधिवत् रूप से शुरू हो गयी है। सोमवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद चार धामयात्रा शुरू हो जायेगी। गौरतलब हो कि बीते दिन अक्षय तृतीया को यमनोत्री व गंगोत्री के कपाट भी खोले जा चुके हैं। इससे पूर्व शनिवार को ब्रहम बेला पर गौरीकुंड में विद्वान आचार्यों, वेदपाठियों ने भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल-विग्रह उत्सव डोली और साथ चल रहे देवी-देवताओं के निशाणों की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी और चल-विग्रह उत्सव डोली गौरीकुंड से रवाना होकर घिनुरपानी, रामबाड़ा व लिनचैली होते केदारपुरी पहुंची. गौरीकुंड सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं ने बाबा केदार की डोली का भव्य स्वागत किया गया.
डोली केदारपुरी पहुंचते ही भंडारगृह में विराजमान हो गई. उत्तराखंड सरकार ने हिमालयन सुनामी के बाद शुरु हुई चार धाम यात्रा के लिए विशेष इंतजाम किये हैं.हालांकि चारधाम यात्रा में छिटपुट बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. राज्य सरकार द्वारा यात्रियों के बायोमीट्रिक केंद्रों पर बढ़ रही है बायोमीट्रिक जांच के लिए यमुनोत्री मार्ग पर बनाये गये केन्द्रों जानकीचट्टी समेत अन्य पांच काउंटरों में कुल 1497 तीर्थयात्रियों का पंजीकरण किया गया. आंध्रप्रदेश की बायोमीट्रिक संचालक कंपनी त्रिलोक सिक्योरिटी सिस्टम द्वारा यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों के पंजीकरण के लिए जानकीचट्टी में भी काउंटर खोल दिया गया है. एक जानकारी के अनुसार ऋषिकेश में 585, नारसन में 96, हरिद्वार में 211, जानकीचट्टी में 229 व गुप्तकाशी में 376 तीर्थयात्रियों का पंजीकरण किया गया. कंपनी के सहायक प्रबंधक संकेत सिंह ने बताया कि चारधाम आने वालों के लिए बायोमीट्रिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. साथ ही आने वाले दिनों में अन्य जगहों पर भी पंजीकरण केंद्र शुरू करने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने बताया कि 2533 यात्रियों का पंजीकरण किया जा चुका है
भारी अव्यवस्थाओं के बीच यात्रा
रविवार से जब मंदिर के कपाट खुले तो वहीं बमुश्किल तीन-चार सौ लोग ही आ पाये है। पिछले साल 15-16 जून की तबाही के निशान आज भी समूचे इलाके के चप्पे-चप्पे पर नजर आ रहा है। सरकारी अमले द्वारा मरम्मत के नाम पर जस्र कुछ पगडंडियां बना दी गई हैं, जमीन पर झांकते कंकाल दिखाई पड़ ही जाते हैं। वहीं इनसे बर्फवारी के बाद निकल रही बदबू यात्रा का औचित्य पर सवालिया निशान लगा रही है।