भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने तथाकथित जासूसी कांड की जांच किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के फैसले को हताशा में उठाया गया कदम बताया है। मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा है, "यह उस सरकार का हताशा में उठाया गया कदम है जिसे यह पता चल चुका है कि उसकी पराजय तय है। यह आखिरी दम के उन कार्यो में से एक है, जिसके जरिए सरकार में बैठे लोग अपनी पराजय को उत्सवी बनने का प्रयास कर रहे हैं।"
जासूसी कांड नवंबर में तब प्रकाश में आया था, जब दो खोजी पोर्टल ने एक महिला वास्तुविद के फोन कॉल टैप करने का आरोप लगाया। यह आरोप लगाया कि राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर यह काम किया गया है। मोदी के अत्यंत करीबी शाह पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के आदेश पर यह कदम उठाया।
कांग्रेस को 'विजय में विनम्रता और पराजय में दयामय'होने की याद दिलाते हुए मोदी ने कहा, "मौजूदा संप्रग सरकार में कुछ शीर्ष नेताओं ने तो हार की डर से चुनाव लड़ना भी मुनासिब नहीं समझा।"संभवत: अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, "जो लोग लड़ रहे हैं वे अपनी तय हार को देख रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में मरणासन्न सरकार का राजनीतिक लाभ के लिए सत्ता की शक्ति का दुरुपयोग अत्यंत असह्य है।"
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को कहा था कि गुजरात के जासूसी कांड की जांच करने के लिए सरकार 16 मई से पहले एक न्यायाधीश की नियुक्ति करेगी। 16 मई को ही आम चुनाव के मतों की गणना होगी और परिणाम घोषित होंगे।