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पटना। पी.एम.सी.एच.में नन्हा राजकुमार का इजाल हुआ। आज इलाज करवाने के बाद भी परेशानी बरकरार है। वह गांवघर में ठंडे के मौसम में आग ताप रहा था। मां और बाप के द्वारा नन्हा को अपने संक्षरण में रखकर आग नहीं तपवाने से हादसा हुआ। चादर में आग लगने के बाद नन्हा जोर-जोर से रोने लगा। रोने की आवाज सुनने मां-बाप दौड़कर आएं। उसे जल्द में उठाकर पी.एम.सी.एच. ले गए। यहां के आपातकालीन कक्ष में जांच और ड्रेसिंग करके वार्ड में स्थानान्तरण कर दिया गया।
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आग ने दाहिने हाथ तरफ, चेहरे पर और बदन पर प्रभाव जमाया। तीन माह के बाद ठीक हुआ। दाहिने हाथ के केहुनी को मोड़ नहीं सकता है। राजकुमार राम के पिता बिरजू राम ने कहा कि पैसे के अभाव में केहुनी का आॅपरेषन नहीं करवा पा रहे हैं। बिरजू राम मजदूरी करते हैं। उनकी बीबी घर में कार्य करती हैं। गरीबी के दलदल में फंसने से राजकुमार राम का इलाज नहीं होने से परेशान रहता है।
हालांकि सरकार के द्वारा महादलितों को इलाज करवाने की व्यवस्था करवाने की घोषणा की जाती है। परन्तु दर असल व्यवस्था जमीन पर दिखायी ही नहीं देती है। अगर व्यवस्था रहती तो जरूर ही महादलित लाभ उठा सकते हैं। कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल के सामने गंगा किनारे सुरक्षा तटबंध के अंदर श्मशान घाट के समीप महादलित डोम महाराज रहते हैं। चिराग तले अंधेरा की तरह ही हाॅस्पिटल से डोम महाराज लोगों को फायदा नहीं है। यहां के लोग कुशलक्षेम भी करने नहीं आते हैं। हालांकि हाॅस्पिटल के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र खोल रखे हैं। इस केन्द्र में कार्यकर्ता बहाल किए गए हैं। परन्तु महादलित डोम होने के कारण इनके आशियाना की तरह आंख उठाकर देखते भी नहीं है। इनकी नजर वहीं पर रहती है। जहां कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल की प्रशिक्षु परिचारिकाओं को फील्ड विजिट करा सके। अभी दीघा बिन्द टोली, रामजीचक नहर और नाच बगीचा को पकड़कर रखे हैं। यहीं पर परिचारिकाओं को विजिट करवाते हैं। इसी लिए अन्य जगहों पर ध्यान नहीं देते हैं। दीघा मुसहरी और नासरीगंज को टा-टा-बाय-बाय कर चुके हैं। एलसीटी घाट और गौसाई टोला में कभी-कभी जाते हैं। बस इसी तरह से सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र के द्वारा कार्य किया जाता है।
आलोक कुमार
बिहार