ग्राहकों के लिए पैसों के लेन-देन से जुड़ी तीन अच्छी खबरें हैं। जहां अब आप बैंक से लिया गया लोन समय से पहले बिना किसी पेनल्टी के चुकता कर सकेंगे, तो वहीं देश को आज पहला स्वदेशी कार्ड पेमेंट सिस्टम मिलेगा। इससे पहले आरबीआई ने इनेक्टिव बैंक खातों में मिनिमम अमाउंट न रखने पर भी जुर्माना नहीं लगाने का निर्देश दिया था।
अब आप बैंक से लिया गया लोन समय से पहले चुका सकते हैं या दूसरे बैंक में शिफ्ट कर सकते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों से कहा है कि लोन समय से पहले बंद करने में कोई पेनल्टी नहीं लगेगी। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने बैंकों को पेनल्टी माफी पर विचार करने की सलाह दी थी। बुधवार को रिजर्व बैंक ने नोटिफिकेशन के जरिये इसे बैंकों के लिए जरूरी बना दिया। यह आदेश फ्लोटिंग ब्याज दर पर लोन लेने वाले हर शख्स पर लागू होगा, चाहे उसने लोन गाड़ी के लिए लिया हो या पर्सनल लोन लिया हो। कॉर्पोरेट लोन के लिए पेनल्टी माफी पर बैंकों में चिंता थी, सो उनके लिए नियम नहीं बदले।
लोन के मौजूदा और नए ग्राहकों के बीच ब्याज दरों में भेदभाव खत्म होगा। पेनल्टी न होने पर कस्टमर कम ब्याज दर वाले बैंक में लोन शिफ्ट करा सकेंगे। बैंकों में ग्राहक लुभाने की होड़ से ब्याज दरें घटेंगी। पेनल्टी बकाया लोन का 2 प्रतिशत तक होती थी। दो साल पहले रिजर्व बैंक ने फ्लोटिंग ब्याज दर वाले होम लोन पर पेनल्टी खत्म कर दी थी। होम लोन में पेनल्टी खत्म करने के बावजूद पेपर ट्रांसफर कराने की प्रक्रिया में पेचीदेपन के कारण ग्राहक लोन शिफ्टिंग को टेढ़ी खीर मानते हैं।
देश को आज पहला स्वदेशी कार्ड पेमेंट सिस्टम मिलेगा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी देश में विकसित 'रू-पे'कार्ड पेमेंट नेटवर्क को आज देश को समर्पित करेंगे। इसका मतलब है कि अब बैंक तेजी के साथ कस्टमर्स को वीजा और मास्टर कार्ड नहीं, बल्कि रू-पे कार्ड जारी करेंगे। 'रु-पे'कार्ड देश के सभी (1.60 लाख से भी ज्यादा) एटीएम, 9.45 लाख से भी ज्यादा पीओएस टर्मिनल और अधिकतर ई-कॉमर्स टर्मिनलों में स्वीकार किए जाएंगे। इससे वीजा और मास्टरकार्ड जैसे इंटरनैशनल कार्ड पर निर्भरता खत्म होगी। ट्रांजैक्शन की लागत घटेगी।
मौजूदा समय में एटीएम से कैश निकालने और शॉपिंग करने के लिए वीजा और मास्टर कार्ड का ही इस्तेमाल किया जाता है। यह दरअसल इंटरनैशनल नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। इसका इस्तेमाल करने के लिए बैंकों को शुल्क भी देना पड़ता है। मगर रू-पे कार्ड के मार्केट में आने से यह देसी तौर पर नैशनल कार्ड नेटवर्क होगा। इसको सरकार और बैंक मिलकर डिवेलप करेंगे। ऐेसे में पूरे देश में कार्ड का ऐसा नेटवर्क फैल जाएगा, जो पूरे तौर पर देसी होगा।
कुछ बैंकों ने रू-पे डेबिट कार्ड मार्केट में लॉन्च करना शुरू कर दिया है। बैंक ऑफ बड़ौदा सहित कुछ और बैंकों ने इसे लॉन्च करना शुरू किया है। इस कार्ड के जरिए देश के करीब 1.65 लाख एटीम से कैश निकाला जा सकता है। देश के करीब 9 लाख पॉइंट ऑफ से टर्मिनल में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कोऑपरेटिव बैंक और रीजनल रूरल बैंक्स (आरआरबी) ने तेजी के साथ रू-पे कार्ड जारी करना शुरू कर दिया है ताकि ग्रामीण और किसान इसको सहजता से इस्तेमाल कर सकें।
अपना कार्ड नेटवर्क विकसित होने से बैंकों के लागत खर्च में कमी आएगी। ऐसे में वे ग्राहकों से एटीएम समेत अन्य नेटवर्किंग सेवा कम शुल्कों पर उपलब्ध कराएंगे। देशी नेटवर्क होने से अन्य बैंकों के एटीएम से कैश निकालने की छूट भी बढ़ सकती है। इसके साथ रु-पे कार्ड बनाने में ज्यादा आसानी होगी और बैंकों का नेटवर्क गांवों और ग्रामीणों तक पहुंचेगा। फिलहाल विदेशों में इस्तेमाल नहीं रू-पे कार्ड का इस्तमाल देश में ही किया जा सकेगा। इसको विदेशों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट सुशील अग्रवाल का कहना है इसको इंटरनैशनल नेटवर्क का हिस्सा बनाने के लिए काफी तकनीकी औपचारिकता पूरी करनी होगी। इंटरनैशनल बैंक को इसको मान्यता देनी होगी। सेवा को इंटरनैशनल लेवल पर खरा उतरना होगा।
पिन नंबर के साथ ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें भी एटीएम से कैश निकालने की सीमा 25,000 हजार रुपये रखी गई है। पीओसी में खर्च की सीमा 50,000 रुपये रोजाना की होगी। सुरक्षा के नाम पर इसमें वे सभी फीचर है, जो वीजा और मास्टर कार्ड के हैं। ऐसे में इसके गुम हो जाने पर इसके दुरुपयोग की कोई आशंका नहीं है। आने वाले समय में रू-पे कार्ड के कई रूप सामने आ सकते हैं। रू-पे क्रेडिट कार्ड भी जल्द लॉन्च किया जाएगा। रेलवे टिकट बुकिंग के लिए आईआरसीटीसी जल्द ही प्री-पेड रू-पे क्रेडिट कार्ड लॉन्च करने जा रही है। साल 2020 तक रू-पे कार्ड देश में वीजा और मास्टर कार्ड की जगह सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने उपभोक्ता संरक्षण पहल के तहत बैंकों से उन ग्राहकों पर जुर्माना नहीं लगाने को कहा है जो अपने इनेक्टिव खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखते हैं। रिजर्व बैंक ने अधिसूचना में कहा, 'बैंकों को यह सलाह दी जाती है कि वे किसी निष्क्रिय खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना नहीं लगाएं।'भारतीय स्टेट बैंक समेत कई बैंक निष्क्रिय खातों में न्यूनतम राशि नहीं होने पर कोई शुल्क नहीं लगाते हैं। केंद्रीय बैंक ने 2012 में बैंकों को निर्देश दिया था कि वे निष्क्रिय पड़े मूल बचत बैंक जमा खातों को चालू करने के लिए ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं ले। परिचालन वाले बैंक खातों के मामले में आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम औसत तिमाही राशि 10,000 रुपये और अर्द्धशहरी इलाकों में 5,000 रुपये नहीं रखने पर 750 रुपये प्रति तिमाही शुल्क वसूलते हैं।