नन्दप्रयाग-घाट मार्ग पर बस दुर्घटनाः 17 मरे कई घायल
- राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने जताया गहरा शोक
देहरादून, 10मई (निस)। हरिद्वार से नंदप्रयाग घाट जा रही नंदादेवी एक्सप्रैस परिवहन कम्पनी की बस घाट के समीप टोनी धार से 500 मीटर गहरी खाई में गिरो 20 लोगों के मरने की खबर है बस स्थानीय लोगों से खचाखच भरी बताई जा रही है दुर्घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी चमोली व एस पी एम्बुलेंस के साथ घटनास्थल पर पहुंच गये थे। हरिद्वार से घाट (जनपद चमोली) जा रही यात्रियों से भरी एक बस के, घाट बाजार के निकट खाई में गिरने की घटना को उत्तराखंड के राज्यपाल डा0 अजीज कुरैशी ने अत्यन्त दुःखदायी बताते हुए दुर्घटना पर गहरा शोक एवं संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने इस बस दुर्घटना में मृतक यात्रियों की आत्मा की शान्ति तथा उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने के साथ ही घायलों के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना भी की है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को चमोली जनपद के नन्दप्रयाग के समीप घाट-विकासनगर जाते समय हुई बस दुर्घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दुर्घटना में दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति एवं घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की ईश्वर से कामना की है। उन्होंने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को घायलों का समुचित उपचार करने के निर्देश दिये हैं। राज्य आपदाकालीन परिचालन केन्द्र से प्राप्त सूचना के अनुसार दुर्घटना में 17 लोगो की मृत्यु हुई है। दुर्घटना में घायल 14 लोगो को राजकीय चिकित्सालय गोपेश्वर में भर्ती किया गया है।
चारधाम यात्रा के लिए पांच बसे रवाना, परिवहन व्यवसायियों के चेहरे पर दिखी खुशी
देहरादून, 10मई । पिछले वर्ष केदारघाटी में आई प्राकृतिक आपदा से त्रस्त चारो धामों के लिए यात्रा को लेकर बनी यात्रियों में असंमजस की स्थिति के बीच दस दिनों बाद परिवहन व्यवसाय से जुडे़ लोगों के चहरों पर उस समय हल्की से खुशी झलक उठी जब इस सीजन में संयुक्त रोटेशन से सर्वाधिक पांच बसें ओर 128 तीर्थ यात्री विभिन्न धामांे को रावाना हुए। रोटेशन सूत्रों के अनुसार धीरे-धीरे यात्रा में श्रद्धालुओं की आमद बढ़ने की उम्मीद है। रोटेशन से जुडे़ नवीन कुमार तिवाडी ने बताया कि इस मौके पर तीन वाहनों में 72 श्रद्धालु एक धाम और दो बसों में 56 यात्री चारों धामों के दर्शन के लिए रवाना हुए। इससे आने वाले दिनों मंे तीर्थयात्रियों की आमद बढ़ने की संभावना जताई जा रही हैं। इस साल यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले एक मई को दो वाहन, दो मई को एक वाहन चारधाम यात्रा के लिए रवाना हुए। सर्वाधिक चार वाहन चार मई को रवाना हुए थे जबकि पांच मई को बद्रीनाथ धाम के कपाटोदघाटन के मौके पर यात्रियों की कमी के कारण रोटेशन से एक भी वाहन रवाना नहीं हो पाया था।
संयुक्त रोटेशन बस स्टैण्ड पर अतिक्रमणकारियों ने लगाया सौंदर्यता पर ग्रहण
पिछले एक सप्ताह से प्रारम्भ हुई चारधाम की यात्रा को लेकर यात्रा प्रशासन भी गंभीर नहीं है। जिसके चलते सौन्दर्य की दृष्टि से संयुक्त रोटेशन बसस्टैण्ड पर किये गये करोड़ों का खर्चा पानी में बह गया है। परिणामस्वरूप बस स्टैण्ड पर छुटभैये नेताओं व जनप्रतिनिधियों द्वारा सैकड़ों की संख्या में अवैधानिक रूप से खोखे डलवाकर कराया गया अतिक्रमण सौन्दर्यता को मुहं चिढ़ा रहा है। ज्ञात रहे कि राज्य सरकार द्वारा चारों धामों की यात्रा पर आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैण्ड पर करोड़ो रूपये की लागत लगाकर विश्रामगृह सड़कों का निर्माण शौचालय आदि बनाया गया। परन्तु अतिक्रमणकारियों ने कब्जे कर सरकार की योजना पर पानी फेर दिया है। परन्तु प्रशासन जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते पूरी तरह इन्हे हटाने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। यहां यह भी बताते चलें कि उक्त अतिक्रमण उन लोगों द्वारा किया गया है जो कि खोखे रखकर वर्षों से नगर की सौन्दर्यता पर तो ग्रहण लगाते ही रहे हैं परन्तु इनके द्वारा शहर के प्रत्येक उस स्थान पर जमीनों के साथ अतिक्रमण किया जाता है जो कि सरकारी स्थान होते हैं और यह लोग अतिक्रमण कर लाखों रूपये की खोखे वालों से मासिक आमदनी भी जुटाते रहे हैं। बताया जाता है कि एक-एक व्यक्ति के नगर में 50 से भी अधिक खोखे अतिक्रमण कर रखे गये हैं। इन्ही लोगों द्वारा भी बस स्टैण्ड पर अतिक्रमण किया गया है। जिन्हे हटाये जाने के लिए पर्यटन विभाग ने अब नोटिस तो जारी किये हैं परन्तु इन्हे हटाया जाना अधिकारियों के बस की बात नजर नहीं आ रही। जिसके कारण चारो धाम पर जाने वाले यात्रियों को अपने वाहन पार्क करना भी दुश्वार हो गया है। ऐसा नहीं कि उक्त अतिक्रमण से पर्यटन विभाग को परेशानी नही हो रही है परन्तु वह चाहकर भी इन्हे हटाने में अपने आप को असमर्थ समझ रहा है।
इतना ही नहीं अतिक्रमणकारियों ने चन्द्रभागा से ढालवाला को जोड़ने वाले नये बनाये गये पुल को भी अतिक्रमण कर अपनी जद में ले लिया है, जिससे ढालवाला जाने वाले लोगों को भी काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
यात्रा मार्ग पर निरंतर चल रहा है सुधार कार्यः मुख्यमंत्री
बीजापुर स्थित मुख्यमंत्री आवास में मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि चारधाम यात्रा ना केवल विश्व की आस्था का केंद्र है बल्कि यह प्रदेश की आर्थिकी व स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए यात्रा को प्रारम्भ करने के लिए तमाम विपरीत प्राकृतिक परिस्थितयों में भी दिन रात काम किया गया। केदारनाथ में 5-6 फीट तक बर्फ होने पर भी संतोषजनक मार्ग का निर्माण किया गया। आज स्थिति यह है कि श्रद्धालु केदारनाथ सहित सभी जगह पहुंच रहे हैं। सरकार का प्रयास है कि यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाया जाए। निरंतर सुधार का काम चलता रहेगा। इस वर्ष तय की गई तारीख को यात्रा प्रारम्भ करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं जुटाई गईं। अगले 1-2 वर्षों में यात्रा अपने पूर्व के वैभव को प्राप्त कर लेगी। 12 मई से लेनचैली से केदारनाथ के लिए हेलीसेवाएं प्रारम्भ कर दी जाएंगी।
ऊर्जा निगम की लापरवाही से समेल्थ गांव 22 दिनों से अंधेरे में
- मोबाइल चार्ज करने के लिए आठ किमी दूर जा रहे हंै ग्रामीण
देहरादून ,10 मई (निस)। नई टिहरी के सेमल्थ गांव के 60 परिवारों को चार दिन और अंधेरे में रहना पड़ेगा। ऊर्जा निगम की लापरवाही से समेल्थ गांव में पिछले 22 दिनों से अंध्ेरा पसरा हुआ है। लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए आठ किमी दूर घनसाली या ढाबसौड़ जा रहे है। देश-प्रदेश में होने वाली घटनाओं से लोग पूरी तरह से वंचित है। सबसे अध्कि समस्या शादी-विवाह वाले परिवारों को झेलनी पड़ रही है। पिछले महीने 19 अप्रैल को सेमल्थ गांव का विद्युत ट्रांसफार्मर फंूक गया था। पहले तो ऊर्जा निगम के अधिकारी यह कहते रहे कि ट्रांसफार्मर का फ्यूज उड़ा है। उसे बांध दिया जाएगा। चार दिन ऊर्जा निगम ने फ्यूज बांधने में लगा दिया। जब आपूर्ति नहीं हो पाई तो क्षेत्रवासियों की आंदोलन की धमकी के बाद 4 मई को ऊर्जा निगम ने ग्रामीणों की मद्द से एक पुराना ट्रासफार्मर सेमल्थ पहुंचाया। ट्रांसफार्मर लगने के आंधे घंटे बाद फिर बिजली गुल हो गई थी। गांव की गुड्डी कुकरेती, योजना कंडवाल, वीरा देवी, मोहन सिंह, भरत लाल, उपेंद्र, दौलत भट्ट और अमित गौड का कहना है कि गांव की जो मेन विद्युत लाइन है उसके तार जगह-जगह झूल रहे हैं। कई स्थानों पर तार पेड़ों से टकरा रहे है। 1985 में विद्युत लाइन बिछ गई थी। तब से उसकी मरम्मत नहीं की गई। जिस कारण अव्यवस्था बनी हुई है। यदि जल्द ही नया ट्रांसफार्मर लगाकर विद्युत आपूर्ति नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। अवर अभियंता ऊर्जा निगम घनसाली की सरिता मेहरा का कहना है कि सेमल्थ गांव का ट्रांसफार्मर फंूकने पर वहां एक रिपेयर ट्रांसफार्मर आपूर्ति बहाल करने के लिए भेजा गया था। लेकिन वह भी खराब हो गया है।
लगातार भूस्खलन से खौफजदां हैं गंगा के उद्रगम स्थल गौमुख हिमालय क्षेत्र के लोग
देहरादून ,10 मई (निस)। गंगा का उद्गम स्थल गौमुख पर हो रहे भूस्खलन से गंगा नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। यूं तो ग्लेशियर विशेषज्ञों के अनुसार गौमुख 15 मीटर प्रतिवर्ष कर रफ्तार से पीछे हट रहा है। इसके बांये हिस्से की पहाड़ी ध्ंासनी शुरू हो गयी रक्त वन की ओर जाने वाला गौमुख का रास्ता दरारों से पटा पड़ा है तथा ग्लेशियर कई स्थानों पर अन्दर से खोखले हो गये है। प्रतिवर्ष हजारों यात्री एवं पर्यटक गौमुख पहुंच रहे है। यहां के प्रमुख ट्रैकिंग क्षेत्र विश्व के माऊण्ट ऐवरेस्ट के शुमार में कालिंदी टैªक, शिवलिंग, भागीरथी, सुमेरु, सतोपंथ, बन्दरपूंछ आदि जैसे ट्रैकिंग स्थल साहिसक खेलों के लिए बडे़ भू-भाग में फैले हैं। जिनकी ऊंचाई 7 हजार से 8 हजार फिट तक गगन भेदी चोटियां बर्फ से वर्ष भर लदी रहती है। यही वजह है कि देश और दुनिया के पर्वतारोहियों के लिए यह क्षेत्र लोकप्रिय बना हुआ है। ट्रैकिंग क्षेत्र विश्व के कई देशांे में मौजूद हैं जो बर्फ से ही लदे हुए रहते हैं किन्तु इतनी बड़ी ऊंचाई और बडे़ भूभाग की कमी के कारण विश्व के ट्रैकिंग क्षेत्र उपेक्षित रहे हैं। गौमुख हिमालय में प्रकृति ने जहां खूबसूरत बर्फ से लदी पहाडि़या दी हैं वही साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में देश ही नहीं वरन विश्व की जानी मानी पर्वतारोहण संस्थान निगम उत्तरकाशी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिसने 1965 से अब तक देश विदेशांे के असंख्य ट्रैकर्स को प्रशिक्षण देकर मघ्य हिमालय के साथ-साथ विश्व के सबसे बडे़ माऊण्ट ऐवरेस्ट तक अपनी प्रशिक्षार्थियों से भारत का तिरंगा लहराया है। ऐवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की सबसे पहली भारतीय महिला उत्तरकाशी की ही निवासी है। जिन्होंने 1984 में माऊण्ट ऐवरेस्ट पर चढ़कर संस्थान का नाम रोशन किया है। इसके अलावा चन्द्र प्रभा ऐतवाल जैसे पदमश्री विभूषित को इसी संस्थान को प्रशिक्षण देने का गौरव प्राप्त है।
क्या है गौमुख हिमालय क्षेत्र
गौमुख गंागेत्री 19 किमी है जहां पहले 15 किमी पहला पड़ाव भोजवासा पडता है। भोजवासा से गौमुख कि दूरी मात्रा 4 किमी रहती है। यह समुद्रतल से 4200 मीटर की ऊंचाई पर है, जिनकी ऊंचाई 7 हजार से 8 हजार फिट तक गगन भेदी चोटियां बर्फ से वर्ष भर लदी रहती है जहाॅ गाय की मुखाकृति वाली एक गुफा से गंगा निकलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव ने अपनी जटा में गंगा को धारण करने के बाद उसकी एक बूंद धरती पर छोड़ी। इस जलधरा को हिमालय ने रोक लिया। जब अनुनय-विनय से वह नहीं रीझा, तो भागीरथी ने इंद्र को प्रसन्न कर उनका वाहन ऐरावत हाथी उनसे लिया, जो समुद्र-मंथन से निकला था। ऐरावत ने अपने दाॅतों से हिमालय को बंाधकर गंगा को मुक्त किया जिससे गौमुख का निर्माण हुआ। कहते हैं कि इसी कोशि श में ऐरावत का एक दाॅत टूट गया। भौगोलिक सच है कि गंगा गौमुख में गंगोत्री हिमनद से निकलती है।