मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. संपत ने शनिवार को चुनाव आयोग में भाजपा की मांग के मुताबिक वाराणसी के रिटर्निग अधिकारी को हटाने सहित किसी भी फैसले पर मतभेद होने से इनकार किया। एक समाचार चैनल पर दिए गए एक साक्षात्कार में संपत ने कहा, "पहली बात, आयोग में कोई मतभेद नहीं है। मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि आयोग में होने वाले कामकाज में प्रक्रिया का पालन होता है। यह तीन सदस्यीय आयोग है जिसके सभी सदस्यों को फैसला लेने का बराबर का अधिकार हासिल है।"
एक ही दिन में वाराणसी में विशेष पर्यवेक्षक भेजे जाने और वाराणसी के जिला दंडाधिकारी को नहीं हटाने का कारण पूछे जाने पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "यह वास्तव में दो अलग-अलग चीजें हैं।"उन्होंने जोर देकर कहा, "आयोग के फैसले में हम सभी प्रासंगिक तथ्यों का जायजा लेते हैं। हमने पाया कि जिला दंडाधिकारी ने प्रासंगिक परिस्थितियों के आधार पर तार्किक फैसला लिया।"
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में एक मतदान केंद्र पर ईवीएम की जांच करते देखे जाने के बारे में संपत ने कहा, "हमें असल में यह पता करना था कि क्या जिस समय प्रत्याशी मतदान केंद्र के परिसर में खड़े थे उस समय मतदान जारी था।"उन्होंने आगे बताया, "हमने न केवल जिला दंडाधिकारी से रिपोर्ट हासिल की, बल्कि हमने चुनाव आयोग के दफ्तर से वरिष्ठ अधिकारियों का दल भेजकर उसकी पुष्टि भी की। टीम के लोग वहां गए और इस बात की जांच की कि जिस समय राहुल वहां पहुंचे थे ईवीएम काम नहीं कर रहा था।"
उन्होंने आगे कहा, "राहुल गांधी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इतना ही नहीं जिस छायाकार ने इसकी तस्वीर ली और उसे प्रकाशित किया उसने भी इसी बात की पुष्टि की।"भारतीय जनता पार्टी के इस अरोप पर कि आयोग निष्पक्ष नहीं है, उन्होंने कहा कि आयोग के खिलाफ इस तरह के आरोप नए नहीं हैं।