आज भारत समेत पूरे संसार में महिला सषक्तिकरण की बातें हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर महिलाओं के साथ उत्पीड़न रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है। षायद ही ऐसा कोई दिन जाता होगा कि महिला उत्पीड़न की खबर अखबार की सुर्खी न बनती हो। अखबार में दो से तीन खबरें ऐसी ज़रूर होती हैं जो महिला उत्पीड़न से जुड़ी होती हैं जैसे दहेज के लिए बहू को जलाकर मार दिया गया, षादी की नीयत से लड़की को अगवा कर लिया गया, मासूम बच्ची के साथ बलात्कार करके मार दिया गया, स्कूल जाती लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार आदि। दुनिया बदल रही है, चारों ओर विकास की बातें हो रही हैं, मगर पुरूश समाज की नारी जाति के प्रति सोच तुच्छ और छोटी ही है। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूर¨ के अनुसार पिछले कुछ समय¨ं से भारत में महिलाअ¨ं के साथ हिंसा सबसे तेजी से बढ़ने वाला अपराध है। इस रिप¨र्ट के अनुसार हर 26 मिनट पर एक महिला के साथ छेड़-छाड़ ह¨ती है अ©र हर 34 मिनट पर किसी महिला के साथ बलात्कार ह¨ता है। महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए न जाने कितने कानून बना दिए गए, मगर महिलाओं के साथ होने वाला उत्पीड़न और अत्याचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहा। बिहार भी इससे अछूता नहीं है। बिहार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल नवंबर तक प्रदेष में महिलाओं से जुड़े 10898 अपराध के मामले दर्ज किए गए जिसमें बलात्कार, अपहरण, छेड़खानी, दहेज और दहेज प्रताड़ना के क्रमषः 1052, 4102, 299, 1129 और 4316 मामले षामिल हैं। वर्श 2012 मे बिहार में महिलाओं से जुड़े 9795 अपराधों में बलात्कार, अपहरण, छेड़खानी, दहेज और दहेज प्रताड़ना के क्रमषः 927, 3789,118, 1275, और 3686 मामले षामिल थे। पिछले आठ साल के कार्यकाल के दौरान बिहार में महिला अपराध के आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो वर्श 2006, 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013 में क्रमषः 4974, 4969, 6186, 6393, 6790, 8141, 9795 और 10898 मामले दर्ज किए गए। आंकड़े बिहार में महिला सुरक्षा पर सवालिया निषान खड़ा करने के लिए काफी हैं।
एक ऐसा ही किस्सा बिहार के जि़ला बिहारषरीफ के राजगीर प्रखंड के अधवष गांव की दामिनी का है जो बचपन से ही यातनाएं झेलते-झेलते बड़ी हुई है। वह सिर्फ पांच साल की थी जब उसके अपनों ने उसके साथ दुश्कर्म करने का प्रयास किया। दामिनी उस वक्त अपने गांव में रहती थी। एक दिन उसकी मां पड़ोस में कहीं गई हुई थी। अपनी मां को ढं़ुढ़ते हुए जब वह घर से निकली तो रास्ता भटक गई। उसे अपने पड़ोस वाले भाई मिल गए जिन्होंने उसे रास्ता बताने का वादा किया और उसके साथ षर्त रखी। फिर उसके साथ वह किया जिसे लिखना मेरे बस में नहीं। यहीं से बिहार की इस दामिनी के दुश्कर्म की कहानी षुरू हुई जो आज तक जारी है। इस सब के बावजूद वह लड़की आज तक जिंदा है तो सिर्फ अपने माता-पिता के लिए। धीरे धीरे वह बड़ी हुई फिर से उसके साथ यही घटना घटी। इस बीच उसने स्कूल जाना षुरू कर दिया। स्कूल में जैसे जैसे उसकी समझ विकसित होती गई अतीत में अपने साथ घटी घटना से वह परेषान रहने लगी। कई बार उसने परेषान होकर आत्महत्या करने की सोची, मगर अपने करियर और माता-पिता के सपनों को पूरा करने के बारे में सोचकर उसने आत्महत्या के बारे में सोचना बंद कर दिया। मगर वह अपने साथ हुए हादसे के कारण घुट-घुट कर जीती रही। कहीं न कहीं उसके घुटकर जीने की वजह उसकी बढ़ती जागरूकता रही । इसी बीच एक अधेड़ उम्र के आदमी ने उसके साथ दुश्कर्म करने का प्रयास किया, मगर वह सफल नहीं हो पाया। उस समय वह सिर्फ पांचवी कक्षा में थी। इसके बाद भी वह षांत रही और अंदर ही अंदर घुटकर जिंदगी के सफर में आगे बढ़ती गयी। मैट्रिक पास किया, फिर इंटर पास किया, मगर इस दौरान वह फिर से एक लड़के का षिकार बनी और उस लड़के ने उसकी अब तक की जिंदगी बर्बाद कर दी है। लड़के ने उससे षादी की, मगर अपने लिए नहीं , सिर्फ पैसा कमाने के लिए।
लड़के ने लड़की का इस्तेमाल किया और उससे पटना, मुज़फ्फरपुर और गया में रखकर उससे वेश्यावृŸिा जैसा घिनौना काम करने को कहा। मजबूरी में लड़की को करना पड़ा क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं था। न कहने पर वह लड़की की बुरी तरह पिटाई कर देता था। आखिर तंग आकर लड़की ने लड़के से अलग होने का फैसला कर लिया। आज वह अकेली अपने माता-पिता के साथ रहती है और स्नातक की पढ़ाई कर रही है। इस लड़की के दिल के अंदर क्या चल रहा है, यह कोई नहीं जानता। घर में रहती है तो घर वालों के तानें, बाहर निकलती है तो बाहर वालों के ताने ,उपर से मर्दों की चुभती नज़रे, आदि से वह परेषान हो चुकी है। आखिर यह किस जुर्म की सज़ा है कि मनुश्य अपनी हवस पूरी करने के लिए किसी लड़की की जिंदगी यूं ही चुटकियों मे बर्बाद कर दे। अगर बात किसी लड़की की जिंदगी संवारने की हो तो कोई आगे नहीं आता या कोई षायद सौ में से एक हो जो आगे आए। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा और यूं ही किसी की मां, बहन और बेटी अपनी इज़्ज़त गंवाती रहेंगी? आज से चार या पांच दषक पहले युवती के साथ इस तरह की घटना घटती थी तो वह घर की चाहरदीवारी में रहती थी, मगर मोबाईल, टीवी और इंटरनेट के इस दौर में लड़की के साथ घटी कोई भी घटना आग की तरह फैल जाती है।
लोगों ने सोचा था कि पिछले साल दिल्ली के दामिनी केस से लोगों को सीख मिलेगी लेकिन सच यह है कि दामिनी केस के बाद भी युवतियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार में किसी तरह की कोई कमी नहीं आयी है। हालही में 18 मार्च 2014 को बिहार के फुलवारी षरीफ में चार लोगों ने एक सात साल की बच्ची के साथ बलात्कार कर उसे मौत की नींद सुला दिया। एक साल पहले पटना के षाहगंज, महेन्द्रु थाना की एक बच्ची (15) के साथ बलात्कार करने के बाद उसके हाथ पैर काटकर उसे नाले में फेंक दिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि महिलाएं आज हर क्षेत्र मे मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं लेकिन यह भी सच है कि महिलाओं के साथ बढ़ते हादसों की वजह से आज महिलाएं घर से निकलते वक्त सोचने पर मजबूर हो गयीं हैं कि कहीं उनके साथ कोई हादसा न हो जाए। आखिर वह दिन कब आएगा जब महिलाएं बेखौफ होकर घूम सकेंगी।
कनीज़ फातिमा
(चरखा फीचर्स)