Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

आलेख : प्रगतिशील महाराष्ट्र पर सवालियां निशान हैं दाभोलकर हत्या

$
0
0
narendra dabholkar
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला मुंबई उच्च न्यायालय सुनवाया. प्रगतीशील कहलाने वाले महाराष्ट्र राज्य में इस फैसले का स्वागत भी किया गया. लेकिन इस हत्या के संबंध में चल रही जांच प्रक्रिया पार अभी भी कई सवालियां निशान खडे होते हैं. 20 अगस्त को दाभोलकर सुबह की सैर के लिए निकले थे कि तभी मोटरसाइकिल पर सवार दो हमलावरों ने उनके सिर पर करीब से गोलियां दाग दीं. महाराष्ट्र में 'अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून'लाने की कोशिशों में जुटे नरेंद्र दाभोलकर को दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ से जो आखिरी धमकी दी गई थी उसमें कहा गया था 'गांधी को याद करो: याद करो हमने उसके साथ क्या किया था'. 

दाभोलकर पिछले 40 सालों से अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून बनवाने के लिए प्रयासरत थे. दाभोलकर की हत्या इस बात का संकेत है कि हमारे बीच कुछ ऐसे कट्टरपंथी और फासीवादी हैं जो हिंसा से सभी तर्कसंगत आवाजों को दबा देना चाहते. अंधविश्वास के जरिए सामाजिक-आर्थिक फायदे उठाने वाले लोगों के खिलाफ उनके द्वारा शुरू लड़ाई उनके पुत्र हमीद, मुक्ता तथा इस आंदोलन से जुडे कार्यकर्ता जारी राखे हुए है. हत्या के विरोध में तथा हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़कर कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग को लेकर कार्यकर्ताओ ने विविध मार्गो से आंदोलन किए. अभी भी सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइलों को ब्लैक कर शासन, प्रशासन का निषेध करते दिखाई देते है. पुलिस की नाकामयाबी और जांच में देरी होने के आरोप बार-बार लगाए गये. अब जाकर इस मामले को सीबीआय को सौंपा दिया है. इसपर हमीद ने कहा कि हमारी मांग थी कि इस मामले की जांच न्यायालय के नियंत्रण में हो. 

एक प्रणाली से दूसरी प्रणाली को मामले की जांच सौंपने में विलंब न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए. उच्च न्यायालय के फैसले के दस्तावेज प्राप्त होने के बाद उसका अध्ययन किया जाएगा. बाद में परिवार, अंनिस के कार्यकर्ताओं से चर्चा कर आगे की रणनीति तय की जाएगी. हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले का दाभोलकर परिवार, अंनिस और प्रगतिशील गतिविधियों के कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद प्रगतिशील गतिविधि के कार्यकर्ताओं में बेचैनी थी. अंधश्रद्धा निर्मूलन गतिविधि का दाभोलकर ने राज्यभर में प्रचार किया था. लोगों के मन से अंधविश्‍वास दूर करने के लिए दाभोलकर ने जीवनभर संघर्ष किया. मगर लगता है कुछ पुलिस अधिकारी नसीब और ईश्‍वर पर भरोसा रखकर मामले की जांच कर रहे हैं. दाभोलकर हत्या मामले की जांच कौन कर रहा है और वह किससे होनी है, यह महत्वपूर्ण नहीं है. इस घटना का सूत्रधार कब पकड़ा जाएगा? यह महत्वपूर्ण है. हत्यारों का पता नहीं चलने से कार्यकर्ता अस्वस्थ हैं. 

अब यह मामला सीबीआई को सौंपा गया है, इसका मतलब यह नहीं कि महाराष्ट्र के राजनेता और पुलिस को इससे छुटकारा मिला है. सूत्रधार की गिरफ्तारी महत्वपूर्ण हैं. ह्त्या की जांच में शुरुवात से ही गड़बड़िया सामने होती रही. ह्त्या का जुर्म कबूलने के लिए पैसे लेने के आरोप तक पुलिस पर लगे. मामले की जांच के लिए एनआईए ने भी इनकार किया. कड़े संघर्ष के बाद जब विरोधी स्वर उभरे तब जाकर जांच प्रक्रिया तेज हुई. महाराष्ट्र पुलिस ने हर कोनों से इसकी जांच की, लेकिन अबतक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. अब उच्च न्यायालय ने जांच सीबीआय को सौपने के आदेश दिए है. इससे सभी कार्यकर्ताओं में थोडीसी राहत हुई जरूर हुई है, लेकिन प्रगतिशील कहलानेवाले महाराष्ट्र जैसे राज्य में अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे सच्चे कार्यकर्ता की ह्त्या निंदनीय है और इससे भी अधिक शर्म की बात है कि कातिल 9 माह बाद भी पकडे नहीं गए है.






live aaryaavart dot com

निलेश झालटे, युवा पत्रकार
संपर्क : 09822721292
ई मेल : nileshzalte11@gmail.com 


Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>