लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग अगले सेना प्रमुख होंगे, जो जनरल बिक्रम सिंह की जगह लेंगे। सरकार ने भाजपा के विरोध को नजरअंदाज करते हुए आज उन्हें इस शीर्ष पद के लिए नियुक्त किया। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने रक्षा मंत्रालय की सिफारिश प्राप्त होने के एक दिन बाद आज उसे मंजूरी प्रदान कर दी।
59 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग फिलहाल वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ हैं और लेफ्टिनेंट जनरलों में सबसे वरिष्ठ हैं। बल के प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल 30 महीने का होगा। वह जनरल सिंह की जगह लेंगे, जो 31 जुलाई को सेवानिवृत हो रहे हैं।
चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल के छात्र रहे सुहाग 1970 में एनडीए में शामिल हुए थे और जून 1974 में उन्हें 4:5 जीआर (एफएफ) कमीशन प्राप्त हुआ था। जनरल ऑफिसर भारत और विदेशों में विभिन्न करियर पाठ्यक्रमों में शरीक हुए, जिनमें सीडीएम सिकंदराबाद में 1997-98 में एलडीएमसी, 2006 में नयी दिल्ली में एनडीसी पाठयक्रम, 2005 में अमेरिका में एग्जक्यूटिव पाठयक्रम और 2007 में केन्या में सीनियर मिशन लीडर्स पाठ्यक्रम (संयुक्त राष्ट्र) शामिल हैं।
श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में वह कंपनी कमांडर थे और कश्मीर घाटी में उन्होंने जुलाई 2003 से लेकर मार्च 2005 के बीच आतंकवाद रोधी अभियानों के खिलाफ 53 वीं इंफैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली थी। उन्हें अक्टूबर 2007 से लेकर दिसंबर 2008 के बीच कारगिल में 8 माउंटेन डिवीजन की कमांडिंग का श्रेय प्राप्त है।
सुहाग ने अपने और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के बीच चली रस्साकशी के बाद पूर्वी सेना कमांडर का प्रभार संभाला था। परंपरागत तौर पर मौजूदा प्रमुख की सेवानिवति से दो महीने पहले यह नियुक्ति की जाती है, लेकिन 2012 में जब बिक्रम सिंह को नियुक्त किया गया, तब संप्रग सरकार इस परिपाटी से विमुख हो गई। उस वक्त तीन महीने पहले ही नियुक्ति कर दी गई थी और इस बार भी फैसला करीब ढाई महीने पहले कर लिया गया।
भाजपा के विरोध के चलते नियुक्ति की प्रकिया पर विवाद छिड़ गया था। लेकिन चुनाव आयोग से रक्षा मंत्रालय को इजाजत मिलने के बाद इस प्रक्रिया ने गति पकड़ी और इसने सुहाग के नाम की सिफारिश की। भाजपा इस नियुक्ति में जल्दबाजी पर सवाल उठा रही थी और इस बात पर जोर दे रही थी कि इस विषय को अगली सरकार के लिए छोड़ देना चाहिए क्योंकि अभी भी काफी समय शेष है।
पूर्व सेना प्रमुख एवं भाजपा के सदस्य जनरल वीके सिंह सुहाग की नियुक्ति का विरोध करने वाले लोगों में अग्रिम पंक्ति में थे। सेना प्रमुख रहने के दौरान सिंह ने सुहाग पर उस वक्त अनुशासनात्मक और सतर्कता प्रतिबंध लगा रखा था, जब दो साल पहले वह तीसरे कोर कमांडर थे।
पदोन्नति पर रोक लगाने वाला यह प्रतिबंध 31 मई 2012 को मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह के पदभार ग्रहण करने के फौरन बाद हटा लिया गया। जनरल वीके सिंह ने आज कहा कि क्या और किन्हें वे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, रक्षा मंत्रालय और संप्रग-2 को किस बात का डर है, लोग संप्रग के इरादे पर सवाल उठाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि जोरहट डकैती मामला जारी रहने के बावजूद रक्षा मंत्रालय कैबिनेट की नियुक्ति समिति और प्रधानमंत्री कार्यालय के जरिए फाइल आगे बढ़ाने पर अमादा है। यह मामला सेना के नाम पर एक धब्बा है, इसमें सतर्कता मंजूरी नहीं मिल सकती।
जनरल सिंह ने कहा कि वे इस पर दो साल पहले बच गए थे, जब जनरल बिक्रम सिंह को प्रमुख नियुक्त किया गया था, इसलिए उन्हें लगता है कि वे दोबारा यह कर सकते हैं।