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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन

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10 साल से भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने आखिरी बार आज देश की जनता को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि मैंने पूरी निष्ठा से देश की सेवा की। मैं देश के जनादेश का सम्मान करता हूं और आने वाली सरकार को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। पीएम ने ये भी कहा कि मेरी जिंदगी खुली किताब की तरह है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मैं आपको प्रधानमंत्री के रूप में आखिरी बार संबोधित कर रहा हूं। दस साल पहले इस जि़म्मेदारी को संभालते वक्त मैंने अपनी पूरी मेहनत से काम करने और सच्चाई के रास्ते पर चलने का निश्चय किया था। मेरी ईश्वर से प्रार्थना थी कि मैं हमेशा सही काम करूं। आज, जब प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का वक्त आ गया है, मुझे अहसास है कि ईश्वर के अंतिम निर्णय से पहले, सभी चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारों के काम पर जनता की अदालत भी फैसला करती है।

मनमोहन सिंह ने कहा कि आपने जो फैसला दिया है, हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए। इन लोकसभा चुनावों से हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें मजबूत हुई हैं। जैसा मैंने कई बार कहा है, मेरा सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है। मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से अपने महान राष्ट्र की सेवा करने की कोशिश की है।

पीएम ने कहा कि पिछले दस सालों के दौरान हमने बहुत सी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर हमें गर्व है। आज हमारा देश हर मायने में दस साल पहले के भारत से कहीं ज्य़ादा मजबूत है। देश की सफलताओं का श्रेय मैं आप सबको देता हूं। लेकिन अभी भी हमारे देश में विकास की बहुत सी संभावनाएं हैं, जिनका फायदा उठाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद भी आपके प्यार और मोहब्बत की याद हमेशा मेरे जहन में ताजा रहेगी। मुझे जो कुछ भी मिला है, इस देश से ही मिला है। एक ऐसा देश जिसने बंटवारे के कारण बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे पद तक पहुंचा दिया। यह एक ऐसा कर्ज है जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता। यह एक ऐसा सम्मान भी है जिस पर मुझे हमेशा गर्व रहेगा।

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