भारतीय जनाता पार्टी (भाजपा) के नेता नरेंद्र मोदी की `सुनामी` ने पूरे देश में भले ही भगवा फहरा दिया हो, लेकिन बिहार के कोसी क्षेत्र में परिणाम मोदी लहर के विपरीत रहे। कोसी इलाके की सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बोलबाला था। अररिया हो या पूर्णिया, कटिहार हो या किशनगंज या सुपौल सभी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हार गए। मधेपुरा सीट पर तो भाजपा को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। पिछले लोकसभा चुनाव में कटिहार, पूर्णिया और अररिया पर भाजपा का कब्जा था।
इस चुनाव में कोसी के सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी रंजीता रंजन करीब 60 हजार मतों से विजयी हुईं, वहीं मधेपुरा से उनके पति और राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी पप्पू यादव ने जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव को 56 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी। कटिहार भाजपा के लिए निश्चित सीट मानी जा रही थी, लेकिन मतदाताओं ने यहां भी भगवा नहीं फहराने का निर्णय लिया। तीन बार से भाजपा के कब्जे वाली सीट पर निवर्तमान सांसद निखिल कुमार चौधरी को हार का मुंह देखना पड़ा। चौधरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) के प्रत्याशी तारीक अनवर ने 1.14 लाख से ज्यादा मतों से पराजित कर दिया।
पूर्णिया से भी भाजपा को उस समय हैरान करने वाला समाचार मिला जब भाजपा के दिग्गज नेता उदय सिंह उर्फ पप्पु सिंह को जद (यू) के प्रत्याशी संतोष कुशवाहा ने हरा दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पप्पू सिंह ने यहां विकास के कई कार्य किए लेकिन भाजपा और जद (यू) के बीच गठबंधन का टूटना भाजपा की हार का मुख्य कारण रहा। किशनगंज सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी की जीत के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी असरारूल हक ने भाजपा के दिलीप जायसवाल को 1.94 लाख से ज्यादा मतों से हराकर इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा।
वैसे कोसी क्षेत्र की खगड़िया सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के महबूब अली कैसर ने राजद की नेता कृष्णा कुमारी को हरा कर राजग की इज्जत बचाने की कोशिश की है। गौरतलब है कि बिहार की कुल 40 सीटों में से भाजपा को 22, लोजपा को छह तथा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को तीन सीट मिली है। तीनों दल मिलकर चुनाव लड़े थे।