नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है वहीं जेडीयू दो खेमों में बंट गई है। एक खेमा नीतीश कुमार के साथ है तो दूसरा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के साथ। शरद यादव ने जब यह साफ कर दिया कि नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे तो उनका विरोध शुरू हो गया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पटना में उनकी गाड़ी रोककर प्रदर्शन किया और उन पर राजनीतिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं ने इस दौरान नीतीश जिंदाबाद और 'बिहार का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो'के नारे लगाए। इस बीच राजद के तीन विधायकों सम्राट चौधरी, राम लखन राम और जावेद इकबाल ने इस्तीफा दे दिया है।
रविवार शाम चार बजे जेडीयू विधायकों की बैठक होने वाली है। इसमें विधायक दल के नए नेता का चुनाव किया जाएगा। भाजपा भी राजनीतिक गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए है। रणनीति के तहत वह शाम पांच बजे राज्यपाल से मुलाकात करेगी। इससे पहले वह जेडीयू के कदम का इंतजार कर रही है। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी और मंगल पांडे राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि वह मामले पर नजर रखे हुए हैं और जेडीयू के फैसले के बाद ही कुछ बोलेंगे। लालू ने इसे जेडीयू का आंतरिक मामला बताया।
शनिवार को आरजेडी और लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाने का संकेत देने के बाद जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने रविवार को दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात की। इस दौरान कांग्रेस ने जेडीयू को अपना समर्थन जारी रखने का भरोसा दिलाया। बता दें कि बिहार में कांग्रेस जेडीयू सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। उधर, शरद के लालू से हाथ मिलाने के संकेत देने के उलट, जेडीयू के एक नेता नरेंद्र सिंह ने कहा कि जेडीयू को लालू के समर्थन की जरूरत नहीं है। अगर ऐसी जरूरत पड़ी तो हम विधायकों और पार्टी के सदस्यों से बातचीत करेंगे। बता दें कि अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जिन लोगों का नाम आगे चल रहा है उनमें नरेंद्र सिंह भी हैं।
बीजेपी ने बिहार में सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। बीजेपी अपने नेता सुशील कुमार मोदी को सीएम बनाना चाहती है। भाजपा को जेडीयू के नाराज विधायकों से उम्मीद है। सुशील मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि जेडीयू के करीब 50 विधायक उनसे संपर्क में हैं।