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उत्तराखंड की विस्तृत खबर (01 जून)

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दोपहर बाद गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में रुकने से परहेज कर रहे यात्री, यात्रा पड़ाव पर व्यवसाय करने से कतरा रहे व्यापारी

देहरादून,1 जून (राजेन्द्र जोशी)। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में यात्रियों की आमद लगातार जारी है। लेकिन, यात्रियों के यहां रुकने से गुरेज करने के चलते दोपहर बाद दोनों धाम एकदम सूने नजर आ रहे हैं। यात्री इन दोनों धामों में दर्शन करने के बाद वापस लौट कर आगे की राह पकड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर केदारघाटी में पिछले साल आई आपदा के डर से इस बार व्यापारी यात्रा पड़ाव पर व्यवसाय करने से कतरा रहे हैं। पूर्व में जो यात्रा मार्ग तीर्थ यात्रियों से गुलजार रहता था, वहां वीरानी छाई है। हजारों की संख्या में यात्रा मार्ग के व्यापारी बेरोजगारी झेल रहे हैं। यात्रा मार्ग पर बने गेस्ट हाउस व निजी लॉज वीरान पड़े हैं। गौरतलब हो कि गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए इन दिनों मौसम खुशगवार है। यही वजह है कि दो मई को कपाट खुलने के बाद दोनों धामों की यात्रा एक बार भी बाधित नहीं हुई है। अब तक दोनों धामों में 25000 यात्री पहुंच चुके हैं। लेकिन, दर्शन का सिलसिला दोपहर तक ही रहता है। दोनों धामों में बीते सालों की तरह इस बार यात्री ठहरने से परहेज कर रहे हैं। इसके चलते दोपहर बाद दोनों धामों की चहल पहल अचानक गायब हो जाती है। जबकि, गंगोत्री व यमुनोत्री में होटल, धर्मशालाओं समेत वन विभाग, लोनिवि व जीएमवीएन के आवासगृह मौजूद हैं। इसके बावजूद दोनों धामों में शाम के वक्त महज तीर्थ पुरोहित, साधू संत व स्थानीय व्यापारी रह जाते हैं। इस स्थिति के कारण हर शाम गंगोत्री धाम में गंगा भागीरथी के तट पर होने वाली गंगा आरती में मामूली संख्या में ही श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। गंगोत्री धाम में दोपहर तक दर्शन करने वाले यात्री वापस लौटकर नैताला व उत्तरकाशी के आस पास ठहर रहे हैं। जबकि, यमुनोत्री धाम में दर्शन के बाद कुछ यात्री जानकीचट्टी में रात बिता रहे हैं। वहीं पिछले साल आई आपदा से पूर्व केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थलों पर यात्रा काल में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में तीर्थ यात्रियों की आवाजाही बनी रहती थी। यात्रा मार्ग से जुडे़ व्यापारियों के पास चैबीस घंटे व्यवस्तता बनी रहती थी। इस बार इन पड़ाव स्थलों पर वीरानी छाई हुई है। तीर्थ यात्री केदारनाथ दर्शनों को पहुंच तो रहे हैं, लेकिन मात्र सैकड़ों की संख्या में। केदारनाथ के साथ ही गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर, रामपुर, फाटा, गुप्तकाशी समेत सभी पड़ाव स्थलों पर हजारों की संख्या में यात्री पहुंचते थे। गौरीकुंड में सबसे अधिक भीड़ रहती थी, पन्द्रह हजार से अधिक यात्री यहां रोजाना रहता था। लेकिन इस बार यहां पूरी तरह वीरान पड़ा है। इस बार उम्मीद जताई जा रही थी कि यात्रा पुराने ढर्रे पर आएगी, लेकिन लॉज संचालकों एवं जीएमवीएन के लिए कोई राहत नहीं लेकर आई। पूर्व में जिन निगम एवं प्राईवेट लॉजों की बुकिंग एक माह पहले ही हो जाती थी, आज उनमें ठहरने के लिए कोई है ही नहीं। जिससे ये खाली पड़े हुए है। सीमित यात्रियों के पहुंचने से लॉज व्यवसायियों को बैंक की किस्त देनी भारी पड़ रही है। साथ ही होटल व्यवसायियों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सरकार संस्थान के साथ मिलकर काम करने को तैयार: हरीश रावत
  • विश्वविद्यालय अगले 10 वर्षों में विश्व के 50 विश्व विद्यालयों में शुमार हो: डॉ. विजय धस्माना 

uttrakhand news
देहरादून, 1 जून, (निस) । मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में चिकित्सा व शिक्षा सेवा के रूप में हिमालयन इंस्टीट्यूट के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता और राज्य सरकार चिकित्सा, शिक्षा व स्वच्छता के क्षेत्र में जो कार्य नहीं कर पायी है इस संस्थान ने दूर-दराज के गांवों में जाकर वह कर दिखाया। उन्होने संस्थान को राज्य सरकार के साथ हाथ मिलाकर पेयजल, स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा जिस क्षेत्र में आमंत्रित करते हुए कहा यदि सरकार व यह संस्थान एक साथ कार्य करेंगे तो राज्य के सुदूरवर्ती  क्षेत्रों  चुनौतियां कुछ कम हो सकती है। हिमालयन इंस्टीट्यूट हास्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) के चार दिवसीय रजत जयंती के समापन समारोह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार हिमालयन इंस्टीट्यूट परिवार को इस बात को लेकर आमंत्रित करती है कि पेयजल, स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा जिस क्षेत्र में भी संस्थान कार्य कर रहा है वहां सरकार साथ मिलकर कार्य करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सुदूर क्षेत्रों में दोनों साथ मिलकर चुनौतियों का सामना ही नहीं करेंगे, बल्कि सुविधाओं का विकास भी करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. स्वामीराम जैसे योगी ने जो सपना देखा था वह साकार ही नहीं हुआ, बल्कि वटवृक्ष की तरह पल्लवित भी हुआ है। ट्रस्ट के अध्यक्षीय बोर्ड के सदस्य डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि एक जून 1989 को ट्रस्ट की स्थापना हुई थी। अबएचआइएचटी की सभी संस्थाएं स्वामीराम हिमालयन यूनिवर्सिटी के अंतर्गत एक छत के नीचे काम करेंगी। उन्होंने बताया कि संस्थान प्रति वर्ष चार करोड़ की छात्रवृत्ति के अलावा छह करोड़ रुपये की निःशुल्क उपचार सेवा प्रतिवर्ष दे रहा है। 170 गांव में हम पानी पहुंचाने में सफल रहे हैं। इन्हीं गांव में शौचालय विकसित किए। रुद्रप्रयाग हास्पिटल में सेवाएं शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि डॉ. स्वामीराम के पैतृक गांव पौड़ी के तौली में 2015 में पालीटेक्निक की स्थापना की जाएगी। वहीं उन्होने कहा कि उनका सपना है कि यह विश्वविद्यालय अगले 10 वर्षों में विश्व के 50 विश्व विद्यालयों में शुमार हो और अगले पांच वर्षों में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से सराहनीय कार्यो के लिए डॉ. विजय धस्माना व रेणु धस्माना को सम्मानित किया गया। इस दौरान सभागार का माहौल गमगीन भी हुआ जब डा. विजय धस्माना को सम्मानित किया गया। इससे पूर्व वामी राम मुख्यमंत्री ने डॉ. स्वामीराम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने ट्रस्ट के 50 कर्मचारियों, 20 वॉलंटियर सदस्य व सात संस्थापक सदस्यों को भी सम्मानित किया।इस दौरान डॉ. वी. राजेश, रोशन लाल कनोडिया, रसपाल मल्होत्रा, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजेंद्र चैहान, डॉ. एसएल जेठानी, डॉ. जेपी शर्मा, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, पूर्व प्रमुख वन संरक्षक डॉ. आरबीएस रावत, पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा, डॉ. सुनील सैनी, डॉ. देवव्रत राय, नलिनी भटनागर, एसपी थपलियाल, डॉ. कैथी, डॉ. मीना चैहान, डॉ. मंजू सैनी आदि उपस्थित थे।

उपनल के पूर्व चेयर मैन बधानी के खोला डा. हरक के खिलाफ मोर्चा

देहरादून, 1 जून (निस)। उपनल के पूर्व चेयरमैन एमसी बधानी ने आरोप लगाया कि काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत और प्रबंध निदेशक उपनल को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने पर आमादा हैं। उन्होंने इसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान से करने की बात कही है। डिफेंस कालोनी स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से रूबरू होते हुए बधानी ने कहा कि आज इनके इशारे पर बैकडोर से उपनल में नियुक्ति की जा रही हैं और जब उन्होंने इसमें रोक लगाने का प्रयास किया तो उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में चुप बैठने वाले नहीं है और उपनल में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लडाई लडेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से भ्रष्टाचार की जांच कराये जाने का अनुरोध किया था लेकिन अभी सरकार ने इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की है। उन्होंने कहा कि उपनल में लगे कर्मचारी 50-60 बडे लोगों के निजी घरों में काम कर रहे हैं, मुख्यमंत्री को कुछ नामों की सूची भी दी गई है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि उन्हें पद से हटाने में सैनिक कल्याण मंत्री का हाथ है लेकिन उन्हें ताज्जुब है कि मुख्यमंत्री ऐसे बहकावे में कैसे आये। उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत ने आज तक सैनिकों के कल्याण के लिए किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की है बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री के आदेशों का उल्लंघन किया है। उपनल में जांच के लिए मुख्यमंत्री ने जो आदेश दिये थे उसकी फाइल आगे नहीं बढी है और लगातार इस मामले पर टालमटोली की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि आज सैनिक कल्याण मंत्री का कद मुख्यमंत्री से बडा हो गया है। 

संस्कृति को संजोए रखकर व आधुनिक दुनिया से जुड़े रहकर ही समाज करे तरक्की: हरीश रावत

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देहरादून, 1 जून, (निस)। परम्परागत संस्कृति को संजोए रखकर व आधुनिक दुनिया से जुड़े रहकर ही कोई समाज तरक्की कर सकता है। ओएनजीसी आॅडिटाॅरियम में रं कल्याण संस्था के रजत जयंति समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अतीत से रिश्ता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि युवा पीढ़ी को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराया जाए। इस काम को रं कल्याण संस्था बखूबी कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उŸार भारत का शायद ही कोई शहरी होगा जहां रं समाज की उपस्थिति ना हो। सीमांत क्षेत्र की संस्कृति को बनाए रखना व अतीत से रिश्ता जीवंत रखना वाकई प्रशंसनीय है। सीमांत क्षेत्र धारचूला के दारमा, चैदास व व्यास घाटी के रं समाज के इस समारोह में तीनों पीढि़यों का संगम दिखाई दे रहा है। एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को सिखाती है। हमारे अंदर की भावना हमें कहती है कि अपने समाज व देश के लिए कुछ करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि धारचूला क्षेत्र का रं समाज उŸाराखण्ड की शान है। जहां भी स्वाभिमानी उŸाराखण्ड की बात आएगी वहां रं समाज का भी जिक्र होगा। जोशीमठ, मोरी, चकराता, धारचूला व मुन्स्यारी का सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में विकास किया जा रहा है। हमारे पास सांस्कृतिक व जैविक विविधता व सम्पन्नता है। सरकार का कर्तव्य है कि इस विविधता को संरक्षित करे। कुमायूं व गढ़वाल विश्वविद्यालयों को राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, संवर्धन करने के लिए कहा गया है। जौलजीवी-टनकपुर मार्ग पहले से ही स्वीकृत है। इसे पूरा कराया जाएगा। कैलाश मानसरोवर मार्ग पर ट्रेकिंग रूट विकसित किये जाएंगे। छोटा कैलाश को हिमदर्शन योजना मे ंसम्मिलित किया गया है। धारचूला में रं कल्याण संस्था के प्रस्तावित संग्रहालय में राज्य सरकार किस प्रकार सहयोग कर सकती है, इसे देखा जाएगा। धारचूला के विधायक हरीश धामी ने कहा कि गुजी महोत्सव, कुटी पर्व, दारमा महोत्सव व जौहार महोत्सव के लिए पहले ही राज्य सरकार द्वारा सहयोग किए जाने की बात की  जा चुकी है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रं संस्था की ओर से भारत सरकार से फ्लोरेंस नाईटेंगल अवार्ड 2014 के लिए सम्मानित की गई सुश्री लक्ष्मी रोंतली को रं गौरव पुरस्कार व पद्मश्री नेत्र शल्य चिकित्सक प्रो.डाॅ.जीवन सिंह तित्याल को रं रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। संस्थागीत की रचयिता श्रीमती शांति नबियाल व भारत सरकार में महानिदेशक वन डा. सत्यवान गब्र्याल को भी सम्मानित किया गया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को बैंटलो(सफेद रंग की पगड़ी) पहनाकर व पिठाई(टीका लगाकर) द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने रं पर डाक विभाग द्वारा जारी आवरण पत्र व संस्था की स्मारिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर संस्था के संरक्षक नृप सिंह नपल्च्याल, संस्था के अध्यक्ष चंद्र सिंह नपलच्याल, डाक विभाग उŸाराखण्ड के सीपीएमजी उदयकृष्ण, मदन सिंह रौतेला, कृष्ण सिंह रौतेला, दरबान सिंह गब्र्याल, अरविंद ह्यांकि, मोहन सिंह त्याल, पुष्कर सिंह सैलाल सहित समाज के अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

चार ग्राम पंचायतों का अस्तित्व समाप्ति की ओर

देहरादून, 1 जून, (निस)। बेऱीनाग में नगर पंचायत बन जाने के बाद अब चार ग्राम पंचायतों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और दो ग्राम पंचायतों का कुछ हिस्सा नगर पंचायत में शामिल हो जाएगा। इन ग्राम पंचायतों के कुल 4849 मतदाता अब नगर पंचायत का हिस्सा हो गए हैं। शासन ने बेऱीनाग को नगर पंचायत का दर्जा देने संबंधी शासनादेश फरवरी में जारी कर दिया था। हालांकि अभी नगर पंचायत ने कामकाज शुरू नहीं किया है, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय इन गांवों के मतदाता अब वोट नहीं डालेंगे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत में ग्राम पंचायत बेऱीनाग, बना, भटीगांव और संगौड़ पूरी तरह शामिल हो गई है, जबकि खितोली और ढनौली ग्राम पंचायत का कुछ हिस्सा नगर पंचायत में शामिल हो गया है। इस तरह इन ग्राम पंचायतों के 4849 मतदाताओं को पंचायत की सूची से अलग कर दिया गया है। इनमें 2470 महिला और 2379 पुरुष हैं। ये मतदाता अब नगर निकाय चुनाव के समय अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह लोग नगर पंचायत अध्यक्ष और अपने वार्ड के सभासद का चुनाव करेंगे।

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