दिल्ली के एक न्यायालय ने प्रेमिका पर तेजाब हमला कर उसकी जान लेने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने तेजाब हमले को महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा का वीभत्स रूप करार दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार गोयल ने कहा, "महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा का एक वीभत्स रूप जो भारत में बढ़ रहा है, वह तेजाब हिंसा है। यद्यपि तेजाब हिंसा ऐसा अपराध है जो महिला व पुरुष किसी के खिलाफ हो सकता है, लेकिन देश में यह खास लिंग के खिलाफ तेजी से हो रहा है।"
अजय भारती को उनकी प्रेमिका के ऊपर तेजाब फेंकने का दोषी पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तथा 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। न्यायालय ने कहा कि भारती ने पहले योजना बनाई और फिर जानबूझ इस कृत्य को अंजाम दिया। न्यायालय ने कहा, "भारती ने उसके ऊपर तेजाब फेंक कर उसकी जिंदगी बरबाद करने का फैसला किया।"
सत्र न्यायालय ने कहा कि महिला जिसकी शादी किसी और से हो चुकी थी और उसके बच्चे भी थे, इस हादसे में 40 फीसदी जल गई थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, भारती और महिला के बीच में प्रेम-संबंध था, लेकिन भारती को महिला के किसी और के साथ संबंध होने की जानकारी मिल गई थी।
वह उसे 20 जनवरी, 2006 को रोहिणी के जापानी पार्क ले गया और उस पर तेजाब फेंक कर भाग गया। एक सप्ताह बाद महिला की राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मौत हो गई। न्यायालय ने कहा कि तेजाब का इस्तेमाल बुरी मंशा के साथ चेहरा बिगाड़ने और तकलीफ पहुंचाने के लिए किया गया था और कहा कि ऐसे हमले अधिकांशत: महिलाओं पर किए जाते हैं। न्यायालय ने कहा कि तेजाब हमलावर किसी के चेहरे को बिगाड़ने के लिए हमला करता है और यह पीड़ितों को शारीरिक व मानसिक कष्ट पहुंचाता है।