भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मंगलवार को अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान मुख्य नीतिगत दरों में संभवत: कोई बदलाव नहीं करेगा। यह केंद्र की नई सरकार के गठन के बाद आरबीआई की पहली समीक्षा होगी। महंगाई के नियंत्रण को प्राथमिकता देने के लिए चर्चित आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को टोक्यो में संवाददाताओं से बातचीत में ऐसे संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था, "सरकार और केंद्रीय बैंक ने विकास की कमजोर रफ्तार को देखते हुए महंगाई को कम करने की जरूरत पर बल दिया है।" आरबीआई अपने रेपो दर को आठ फीसदी के स्तर पर बरकरार रख सकता है।
इससे पहले, नए वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा था, "आरबीआई ने हमेशा विकास और महंगाई के बीच संतुलन बनाया है।"राजन ने कहा कि सरकार और आरबीआई इस मुद्दे पर एकसमान राय रखता है। जेटली ने कहा था, "चुनौतियां जाहिर हैं। हमें विकास की रफ्तार वापस लानी होगी, महंगाई रोकनी होगी और वित्तीय समेकन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।"
राजन ने आर्थिक विकास दर के एक दशक के निचले स्तर पर रहने के बावजूद अपने अब तक के कार्यकाल में तीन बार ब्याज दरों में वृद्धि की है। भारत का विकास दर वित्त वर्ष 2013-14 में लगातार दूसरे वर्ष भी पांच फीसदी से नीचे 4.7 फीसदी रहा है।
वित्त वर्ष 2013-14 की चौथी तिमाही में विकास दर 4.6 फीसदी दर्ज किया गया, इसकी वजह विनिर्माण व खनन उद्योग के विकास में गिरावट थी। राजन ने हालांकि, वित्त वर्ष 2014-15 की समाप्ति पर उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित महंगाई को आठ फीसदी और अगले वर्ष के लिए छह फीसदी पर बरकरार रखने का लक्ष्य रखा है।