शिक्षा इंसान को रोशनी देती है: मुस्लिम विद्ववान
- बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए महिलाओं ने पहने हुए आभूषण कर दिये दान
नीमच। स्कूल व मदरसा निर्माण को लेकर जहाँ पुरूषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया वहीं मुस्लिम समाज की महिलाएँ भी पीछे नहीं रही। उन्होंने भी दिल खोलकर बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए सोने-चाँदी के पहने हुए आभूषण दान कर दिए। महिलाओं की इस जागरुकता को सराहते हुए, समाज के विद्वान यह कहने से भी खुद को रोक न सके की इल्म एक रोशनी हैं, तो जिहालत एक अंधेरा हैं। शिक्षा सूरज की किरणों की तरह रोशन कर देती हैं, इस रोशनी से ओतप्रोत बच्चे, युवा, बुजूर्ग अपने भविष्य की सीढिया गढ़ते चले जाते हैं और उज्ज्वल भविष्य की प्राप्ति करते हैं। मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित एक दिवसीय दस्तारबंदी व शिलान्यास प्रोग्राम में अन्य राज्यों से कौम के रहबरों ने भी शिरकत की। अराकीन मरकजे अहले सुन्नत दारुल उलूम अल जामियाअतुर्रिजविया जूना बघाना के मंच से अतिथिगणों ने शिक्षा पर संदेश दिया। शनिवार की शाम 5 बजे दारुल उलूम (मदरसा) स्कूल की बुनियाद रखी गई। इसी प्रकार रात 10 बजे से रविवार की सुबह 4 बजे तक चले आयोजन का समापन हुआ। इस आयोजन को लेकर समाज में उत्साह देखा गया।आयोजन के मुख्य अतिथि मुफ्ति अरसलान रजा सा. बरैली शरीफ, मुफ्ती सय्यद शबाहत हुसैन सा. संभल उत्तर प्रदेश व अल्हाज हाफिज अब्दुल गफ्फार सा. नूरी बाबा इंदौर उपस्थित थे। इसी प्रकार मुरादाबाद के मौलाना कारी गुलाम नबी, मंदसौर के मुफ्ती अब्दुल मन्नान, उज्जैन के शहर काजी अल्हाज मौलाना हिदायतुल्ला खान, हाफिज मुज्जफ्फर हुसैन, हाफिज मो. हुसैन सहित स्थानीय विद्ववान मंचासीन थे। आयोजन के दौरान हाफिज हुए बच्चों की दस्तारबंदी की गई। वहीं मदरसा व स्कूल के लिए भूमि दानदाताओं का सम्मान भी किया गया। मुस्लिम विद्ववानों को सुनने बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। सभी का आभार आयोजन कर्ताओं की ओर से हाफिज कारी अब्दुल मुबिन सा. ने माना।