सहार। आप गर्भवर्ती हैं। प्रसव की अवधि 9 माह हो गयी है। तो आप सरकारी गाड़ी पर भरोसा नहीं करें। हां, अगर आप चाहते हैं कि मोबाइल से फोन करके मन को संतुष्ट कर लें। यह आपकी मर्जी है। गर्भवर्ती बंसती देवी के पति जितेन्द्र राम ने मोबाइल से 102 नम्बर की गाड़ी भेजने का आग्रह किए। वहां से दिल तोड़ने वाले जवाब दिया जाता है कि 102 नम्बर की गाड़ी खराब हो गयी है। रिर्जव टेम्पों करके सहार हॉस्पीटल आना पड़ा। टेम्पों भाड़ा जेब से देना पड़ा। हॉस्पीटल में आने का प्रसव हुआ। एक नहीं दो पुत्ररत्न प्राप्त हुआ। श्री राम जी के पुत्र के अनुसार एक का लव और दूसरे का कुश नामकरण कर दिया गया। इस जुड़वे गुड्डे को प्राप्त कर पति और पत्नी खुश हैं।
नक्सल प्रभावित भोजपुर जिले में सहार प्रखंड है। यहां पर बरूही देवनारायण नगर है। महादलित समुदाय के लोग रहते हैं। इस क्षेत्र में मुसहर को ‘मांझी’ नहीं कहते हैं। उपनाम‘ राम’ से जाने जाते हैं। जितेन्द्र राम की पत्नी बंसती देवी हैं। हालांकि दोनों के पास एक लड़का और लड़की संतान हैं। बीबी रखो टीप टॉप और दो बच्चों के बाद फूलस्टॉप परिवार कल्याण का नारा को अपनाया नहीं। मगर तीसरे बच्चे की तैयारी करने में कोई कसर बंसती देवी नहीं छोड़ी। उसने निकटतम आंगनबाड़ी केन्द्र में पंजीकृत हो गयी। आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से ए.एन.एम.दीदी ने उप स्वास्थ्य केन्द्र में भी पंजीकृत कर दी। वहां से 5 और 6 माह के दौरान दो बार टी.टी. का टीका लगा। लौहतत्व की गोली भी दी गयी। प्रसव पूर्व आंगनबाड़ी केन्द्र की ओर पोष्ट्रिक आहार के रूप में चावल और दाल प्राप्त हुआ। सरकारी पैमाने के अनुसार 8 गर्भवर्ती और 8 दूध पिलाने वाली मां को तीन किलोग्राम चावल और डेढ़ किलोग्राम दाल दिया जाता है। यहां पर बंसती देवी को दोनों अवस्था में डेढ़ किलोग्राम चावल और साढ़े सात सौ ग्राम दाल दिया गया।
प्रसव पीड़ा होने पर जितेन्द्र राम ने मोबाइल से 102 नम्बर की गाड़ी को कॉल किया। वहां से गाड़ी खराब होने के जवाब आने पर बंसती देवी को टेम्पों पर बैठाकर 4 जनवरी,2014 को सहार हॉस्पीटल लिया गया। उस समय आशा दीदी भी साथ थीं। घर से 4 किलोमीटर की दूरी करने पर टेम्पों चालक ने 300 रू. किराये के तौर पर गड़क लिए। हॉस्पीटल में भर्त्ती होने के बाद चिकित्सकों ने दवा-दारू शुरू कर दिये। पहले प्रथम पुत्र का जन्म हुआ। इसके 10 मिनट के बाद द्वितीय पुत्र का जन्म हुआ। इस तरह 10 मिनट के अंदर जितेन्द्र और बंसती को जुड़वा पुत्ररत्न प्राप्त हो गया। तत्क्षण नामकरण भी कर दिया गया। श्री राम जी के पुत्र के अनुसार एक का नाम लव और दूसरे का कुश रखा गया। एक शिशु का वजन 2 किलो 500 ग्राम और दूसरे का वजन 2 किलो 400 ग्राम है। दोनों बच्चों को बीसीजी का टीका लगा। संस्थागत प्रसव करवाने के लिए 14 सौ रू. का चेक मिला।
पैक्स के सहयोग से भोजपुर जिले के चार प्रखंडों में निर्मित कम्युनिटी बेस ऑगनाइजेशन सीबीयू की सदस्या और बंसती की सास ने बवाल खड़ा कर दी। जब जुड़वा गुड्डे के आगमन पर ‘नर्स’ दीदी ने 300 रू. की मांग कर दी। इस पर वह कहती हैं कि संस्थागत प्रसव करवाने में रकम नहीं लगता है। उल्टे जननी सुरक्षा योजना के तहत 14 सौ रू. देना है। आखिरकार सीबीयू की सदस्य झुक गया आसमान की तरह झुक गयी और नर्स को 300 रू. और ममता को 15 रू. थमा दी। वहीं हॉस्पीटल से दवा-दारू देकर बाहर से दवा लाने के लिए पूर्जा दिया गया। ‘न खाता न बही और जो डाक्टर साहब कह दिए सही।’ डाक्टर साहब के कथनानुसार ही बाहर में जाकर 900 रू. की दवा फार्मेसी से खरीदी गयी। दिलचस्प बात यह है कि अगर आप मनमर्जी से अन्य फार्मेसी से दवा खरीदते हैं। तो उसे डाक्टर साहब वापस करा देते हैं।
नवीनतम जानकारी के अनुसार डीपीटी और पोलियो का प्रथम डॉज लव को मिला है। तबीयत खराब होने के कारण डीपीटी और पोलियो का प्रथम डॉज से कुश महरूम हो गया। बाद में डॉज दिया जाएगा।
आलोक कुमार
बिहार