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बिहार : चूहे पालन करने वाले धंधे को महादलितों के कंधे पर नहीं थोपने का आग्रह

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गया। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चूहों के मांस खाते हैं। पहले से ही खाते आ रहे हैं। वर्तमान में खा रहे हैं और भविष्य में भी खाते रहेंगे। कई मर्तबा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने पुराने दोस्त उमेश मांझी के संग चूहों के दावत उड़ा चुके हैं। परिस्थिति बदलने के बावजूद दोनों दोस्त चूहों के मांस खाने से परहेज नहीं कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया फेसबुक के इनबाॅक्स मंे चैटिंग दौरान खुलासा हुआ। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुराने दोस्त  उमेश मांझी से यह पूछा गया कि सूबे के सीएम चूहा खाएंगे ? पर आपका क्या कहना है? इस पर उमेश मांझी का कहना है कि मैं भी। तब स्पष्ट करने के लिए सवाल पूछा गया कि आप भी खाएंगे? तो उनका स्पष्ट रूप से कहना है कि ‘हां’। जो इस इनबाॅक्स में देखने से साफ तौर से पता चल पा रहा है। 

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में योजना विभाग के प्रधान सचिव विजय प्रकाश ने महादलित मुसहर समुदाय के सामाजिक-आर्थिक स्तर उठाने के लिए जोरशोर से प्रयास कर रहे थे। खुद से गहन अध्ययन किए नयापन व्यवसाय से उनको लाभ उठाने के गुर सीखाना चाह रहे थे। अपने किए गए खोजबीन में चूहा पालन और विषैला सर्प के विष निकालकर व्यापार करने पर बल देते। जब किसी सम्मेलन में महादलित मुसहर समुदाय की बहुतायत उपस्थिति में मुख्य अतिथि तौर पर बुलाया आने पर खुद को आईएएस विजय प्रकाश रोक नहीं पाते। एक मर्तबा एकता परिषद के सम्मेलन में शिरकत करने आए थे। चूहों की महिमा और मुसहर समुदाय के यशोगान कर रहे थे। ये लोग बिना मंत्र जाने ही बिल में हाथ डाल लेते हैं। चूहा पालते भी हैं और खाते भी हैं। बस जरूरत है कि कुछ जमीन पर पिंजरा बनाया जाए। ताकि उनको सुरक्षित रखा जा सके। इस पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग कहने लगे कि साहब जमीन के अभाव में सूअर के बखोरनुमा झोपड़ी में रहते हैं। खुद के रहने का ठौर नहीं है। उस हालात में चूहों को कैसे पाल सकेंगे? महादलितों ने 10 डिसमिल जमीन देने की मांग करने लगे। जिस भूमि पर रहते हैं। उस भूमि पर मालिकाना हक देने के लिए वासगीत पर्चा निर्गत करें।

इतन सुनना था कि चूहों के मांस के बारे में बखान करने लगे। नौबतपुर में रहने वाले विकास मित्र की पत्नी ने मशालेदार चूहा के मांस बनायी थीं। उसको मैं (विजय प्रकाश ) और मेरी पत्नी मृदुला प्रकाश जी ने डकार मारमार खाएं। इसके बाद फिर महादलितों ने कहा कि साहब मुसहर समुदाय में शिक्षित और अशिक्षित नौजवान हैं। उनके भविष्य के बारे में सोचा जाए। इसके बाद मुद्दा बदलकर सरकारी योजनाओं के बारे में जिक्र करने लगे। खासकर दशरथ मांझी कौशल विकास योजना के बारे में विस्तार से बताया। महादलित विकास मिशन के द्वारा 19 सूत्री कार्यक्रम के ऊपर कार्य किया जाता है। 

इसके कुछ दिनों के बाद राजधानी में महादलित समुदाय के लोगों ने रैली निकालकर चूहे पालन करने वाले धंधे को महादलितों के कंधे पर नहीं थोपने का आग्रह किया गया। इसके बाद सरकार के द्वारा भी पहलकदमी बंद कर दी गयी। एक बार फिर चूहा खाने का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। खुद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चूहा खाने से गुरैज नहीं करते हैं। उनके बाद मुख्यमंत्री के पुराने मित्र उमेश मांझी भी चूहा खाने की बात करने लगे हैं। इन दोनों दोस्तों के गठबंधन से सूबे के योजना विभाग के प्रधान सचिव विजय प्रकाश को चूहा पालन और व्यापार करने पर बहसबाजी करने पर बल मिल गया है। यहां साफ तौर पर कहना है कि आपकी मर्जी है। जो कुछ भी खाओं और खिलाओं। मगर उस समुदाय को आगे बढ़ने और बढ़ाने के मार्ग को और मजबूती प्रदान करके पूरा करो। 



आलोक कुमार 
बिहार 

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