- सबसे बड़ा सवालः एक साथ दो विद्यालयों से विधायक ने कैसे कर दिया हाईस्कूल पास
देहरादून, 5 जून (राजेन्द्र जोशी)। झबरेड़ा विधायक व उत्तराखंड सरकार में सदस्य सचिव हरिदास की शैक्षिक योग्यता को लेकर मामला चुनाव आयोग के बाद नैनीताल उच्च न्यायालय की शरण में जा पहंुचा है, विधायक हरिदास पर विधानसभा चुनाव 2007 और 2012 में हुए चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हुए शपथ पत्र में अपनी शैक्षिक योग्यता को लेकर जहां गलत जानकारी देने का आरोप है वहीं सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार विधायक की हाई स्कूल के दोनों प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं वहीं 2007 में उल्लेखित स्कूल के प्रमाणपत्र को स्कूल ने ही साफ तौर पर नकार दिया है वहीं 2012 में दिए गए प्रमाणपत्र को भी दूसरे स्कूल ने फर्जी करार दिया है, कुल मिला कर विधायक द्वारा दोनों चुनावांे के दौरान अलग अलग विद्यालय से हाई स्कूल पास करने की जानकारी सही नहीं पायी गयी है इतना ही नही एक स्कूल के प्रधानाचार्य ने तो स्पष्ट लिखा है विधायक हरिदास ने कक्षा आठ भी पास नहीं किया है, इतना ही नहीं सबसे चैंकाने वाली बात तो यह है कि विधायक ने दोनों चुनाव के दौरान एक साथ दो विद्यालयों से हाई स्कूल उत्तीर्ण करना बताया है। जो कि नामुमकिन है।
उल्लेखनीय है विधायक हरिदास द्वारा वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान शपथ पत्रों में शैक्षिक योग्यता हाई स्कूल पास दिखाई गयी है जबकि विधायक द्वारा इस दौरान लंडौरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा गया इस चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान विधायक ने मथुरा के वृन्दावन स्थित गुरुकुल विश्वविद्यालय से हाई स्कूल पास के प्रमाण पत्र लगाए थे। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अरविन्द कुमार को जो जानकारी दी गयी उसके अनुसार गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन के कुलपति आचार्य स्वदेश द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट लिखा है कि हरिदास से सम्बंधित कोई भी शैक्षिक अभिलेख संस्था में उपलब्ध नहीं है और ना ही इसके निर्गत होने का कोई प्रमाणपत्र ही विद्यालय में उपलब्ध है।
वहीं 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान विधायक द्वारा चैधरी भरतसिंह डीएवी इंटर कॉलेज झबरेडा से हाई स्कूल पास होना अंकित किया गया है जबकि इस विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा जारी पत्र में साफ उल्लेख है की हरिदास पुत्र शोभा राम निवासी लाठरदेवा हुण ब्लाक नारसन ने हमारे विद्यालय से हाई स्कूल से परीक्षा पास नहीं की है वहीं उन्होंने अपने पत्र में लिखा है की विधायक द्वारा 1970 से 1980 के बीच कक्षा छह व सात तो पास की है लेकिन कक्षा आठ में पास नहीं हुए हंै
मामले के तूल पकड़ने के बाद इस समूचे प्रकरण की जानकारी राज्य चुनाव आयोग के संज्ञान में लाई गयी और उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त किये जाने की मांग की गयी लेकिन राज्यस्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई इसके बाद अपीलार्थी ने भारत निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया जिस पर भारतीय निर्वाचन आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड को निर्देशित किया की अपीलार्थी अरविन्द कुमार के पत्र का संज्ञान लेते हुए वर्णित मामले की जांच संबंधित रिटर्निंग अधिकारी से करवाई जाए और जांच रिपोर्ट आयोग को तत्काल उपलब्ध कराई जाय इस पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड ने 17 फरवरी 2014 को जिला अधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी हरिद्वार को उक्त प्रकरण पर जांच करने को कहा लेकिन जब लगभग चार माह तक उक्त प्रकरण पर कोई भी कार्यवाही ना होते देख अरविन्द कुमार ने अब इस पूरे प्रकरण पर नैनीताल उच्चन्यायालय का दरवाजा खटखटाया है
प्रदेश में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर पुलिस में नौकरी पाने वाले ऐसे कई युवकांे को जहां प्रदेश सरकार ने सख्त रवैया अपनाते हुए जेल की सलाखों के पीछे ही नहीं पहंुचाया बल्कि उनको सेवा से भी बर्खास्त कर दिया लेकिन इस प्रकरण में पिछले चार माह से सरकार की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है कि आखिर एक प्रदेश में आम जनता के लिए अलग और विधायक के लिए अलग कानून आखिर क्यों ?